शैली गौरैया अपनी बेटी चिप्पी के साथ के पीपल के पेड़ पर रहती थी, जिस के आसपास नीम, आम और जा कई पेड़ थे. जामुन के पेड़ पर ना के गिलहरी और उस की बेटी तनु रहती थी. शैली और सना में गहरी दोस्ती थी. इसीलिए उन की बेटियां भी दोस्त हो गईं. वे चारों जब साथ होतीं तो बहुत खुश रहतीं.
"कितना अच्छा लग रहा है यहां. मेरी तो सांस ही घुट रही थी अपनी खोह में," सना ने गहरी सांस लेते हुए कहा.
"तो रोज आया करो न, यह तुम्हारा ही घर है," पीपल पर घोसला होने के कारण शैली को यहां भरपूर औक्सीजन मिली थी.
"अंदर आजा, गपशप करते हैं," शैली, सना को अपने घोसले में ले गई, जिसे वह बड़े जतन से सजा कर रखती थी.
"मैं तुम्हारे और चिप्पी के लिए जामुन लाई हूं."
"बहुत मीठे जामुन हैं तुम्हारे पेड़ के," शैली ने जामुन खाते हुए कहा.
"नमस्ते सना आंटी," सना के साथ तनु को देख कर चिप्पी खुश हो गई.
"नमस्ते बेटा," सना ने चिप्पी को प्यार करते हुए जवाब दिया.
"ये तू ने अच्छा किया कि तनु को भी साथ ले आई. अब ये दोनों आपस में खेलेंगी और हम दोनों जी भर कर बातें करेंगे."
"मां, हम ऊपर वाली डाल पर खेल सकते हैं?" चिप्पी और तनु ने एकसाथ पूछा.
"ठीक है बेटा, पर संभल कर खेलना, सामने के घर में रहने वाले रोहन के पास गुलैल है," शैली ने समझाया.
Diese Geschichte stammt aus der January First 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.
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