बोबो भौंरा बहुत दयालु था और हमेशा सब की मदद करता था. बन्नी भी उस का दोस्त था, लेकिन उस का व्यवहार बोबो जैसा नहीं था. वह स्वार्थी और तुनकमिजाजी था. वह सब की आलोचना करता और भूल कर भी कभी किसी की सहायता नहीं करता था.
बोबो की उस से दोस्ती थी. बोबो जानता था कि बन्नी के गुस्सैल स्वभाव की वजह से कोई भी उस का दोस्त नहीं बनेगा. 'यदि गुलाब कांटों से दोस्ती कर सकता है तो वह क्यों नहीं कर सकता? मैं हमेशा बन्नी से दोस्ती रखूंगा, ' उस ने सोचा.
वह अकसर बन्नी को समझाता था कि हर किसी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए. बन्नी अपनी धुन में 'गुनगुनाया और एक कान से बोबो की बातें सुनीं और दूसरे से बाहर निकाल दी. वह बोबो के साथ चला गया. वह अपने आप में खुश रहता था. एक दिन दोनों बगीचे में मजे से इधरउधर घूम रहे थे. तभी उन्होंने देखा कि एक गिलहरी अपने बिल में रो रही है. शायद वह बीमार थी.
बोबो उस के पास गया और उस से पूछा कि क्या हुआ है?
उस ने बताया कि उस की मां उसे छोड़ कर कहीं चली गईं है.
Diese Geschichte stammt aus der March Second 2023-Ausgabe von Champak - Hindi.
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जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
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डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
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भारत की आजादी के कुछ साल बाद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, जिन्हें प्यार से 'चाचा नेहरू' के नाम से भी जाना जाता है, वे एक कार्यक्रम में छोटे से गांव में आए. नेहरूजी के आने की खबर गांव में फैल गई और हर कोई उन के स्वागत के लिए उत्सुक था. खास कर बच्चे काफी उत्साहित थे कि उन के प्यारे चाचा नेहरू उन से मिलने आ रहे हैं.
पोपी और करण की मास्टरशेफ मम्मी
“इस बार आप बार आप ने क्या बनाया हैं, मम्मी?\"
अद्भुत दीवाली
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डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.