एक दिन सबुह वह अपने सहपाठी राहुल, श्याम, रुपेश, बृज और अनिल के साथ स्कूल जा रहा था. रास्ते में वे गोपी दादी के बड़े से खेत से गुजरे. बरसात का मौसम था और खेत में खीरे लगे थे.
राहुल ने कहा, "दादी के खेत में बहुत सारे खीरे लगे हैं. चलो, तोड़ कर लाते हैं."
"दादी हमें देखेंगी तो बहुत नाराज होंगी. वह अपने खेत पर हर समय नजर रखती हैं," श्याम ने जवाब दिया.
"हम 5 हैं और दादी अकेली हैं. अंशु चौकीदारी करेगा और हम खेत में घुस कर खीरे तोड़ लेंगे. ठीक है अंशु."
अंशु चोरी में उनके साथ शामिल नहीं होना चाहता था. उस की मां ने हमेशा उसे गलत काम करने से मना किया था, उसे चुप देख कर बृज बोला, "ज्यादा मत सोच अंशु. खीरे की चोरी असल में चोरी नहीं मानी जाती. तुम इस बारे में किसी से भी पूछ सकते हो."
यह सुन कर अंशु आश्वस्त हो गया. उस ने भी चाचा से सुना था की पहाड़ों में किसी के खेत से खीरे चुराना चोरी नहीं माना जाता. चारों दोस्त खीरे तोड़ने दादी के खेत में पहुंच गए, जबकि अंशु किनारे खड़ा हो कर चौकीदारी कर रहा था. अभी उन्होंने केवल दो ही खीरे तोड़े थे कि तभी दादी की तेज आवाज सुनाई दी.
अंशु चिल्लाया, "भागो, दादी आ गई है."
चारों ने अपने बैग उठाए और स्कूल की तरफ भाग गए, लेकिन अंशु वहीं रह गया. उसे उम्मीद थी कि दादी उस से कुछ नहीं कहेंगी, क्योंकि वह अकसर उनके घर आती थीं और लता व अंशु से बहुत प्यार करती थीं. दादी ने उसे पकड़ लिया और कहा, "अंशु, चोरी करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती."
"दादी, मैं ने खीरा नहीं चुराया है."
"लेकिन तुम उन 4 चोरों के साथ थे," इतना कह कर दादी ने जोर से उस के कान खींचे और कहा, "ठहर जा, अभी तेरी मां से जा कर शिकायत करती हूं. बेचारी दिनरात मेहनत कर के तुझे पालपोष रही है और तू इन आवारा लड़कों के साथ यह सब कर रहा है."
Diese Geschichte stammt aus der October First 2024-Ausgabe von Champak - Hindi.
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