चीनी की जीत

इस पर कन्नू ने जवाब दिया, “कुछ नहीं,” लेकिन फिर रुक कर बोला, "मैं दौड़ने के बारे में सोच रहा हूं. मुझे दौड़े हुए काफी समय हो गया है."
"ओह, यह तो बहुत बढ़िया आइडिया है," चिनी बोली.
“क्या तुम मेरे साथ चलना चाहोगे? चलो, दौड़ लगाते हैं,” कन्नू ने सुझाव दिया.
चिनी ने सोचा, 'पिछली बार उस ने मुझे रेस में हरा दिया था. अब वह मुझे फिर से हराना चाहता है. मुझे उसे हराने के लिए कुछ करना होगा,' चिनी जानता था कि एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी को भी बुद्धि से हराया जा सकता है.
"हां, चलो, रेस लगाते हैं,” चिनी ने सहमति जताई, "लेकिन रुको, मैं तुम से कुछ पूछना चाहता हूं.”
“क्या?” कन्नू ने पूछा.
"तुम्हारे 52 पैर हैं, ठीक है? लेकिन मैं हमेशा यह सोचती रहती हूं कि तुम सब से पहले कौन सा पैर उठाते हो?"
"क्या?" कन्नू ने चौंक कर कहा, "मैं पहले कौन सा पैर उठाता हूं, मैं ने तो पहले कभी इस बारे में नहीं सोचा."
यह कहते हुए कन्नू सोचने लगा कि पहले कौन सा पैर उठाऊं? वह विचारमग्न हो गया और फिर हैरान हो कर बोला, “अभी मैं समझ नहीं पा रहा हूं. क्या हम दौड़ कल तक के लिए टाल सकते हैं?"
चिनी यही चाहती थी. वह हंस कर बोली, “जरूर."
कन्नू को कुछ समझ नहीं आया. वह कौन सा पैर पहले उठाता है? इस के लिए उस ने कई प्रयास किए, जिस से उसे मालूम हो सके कि वह पहले कौन सा पैर उठाता है.
सब से पहले वह एक शीशे के सामने खड़ा हुआ. उस ने अपने पैरों को हिलाते हुए अपने प्रतिबिंब को ध्यान से देखा. उस ने देखा कि उस का दाहिना पैर पहले उठ रहा था. फिर वह मुड़ा और उस ने अपने बाएं पैर को उठाया.
उस ने यह प्रक्रिया 2-3 बार दोहराई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ. निराश हो कर उस ने सोचा, "शायद मुझे किसी और से पूछना चाहिए."
Diese Geschichte stammt aus der February First 2025-Ausgabe von Champak - Hindi.
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मिहिर की पूंछ
मिहिर केवल 9 साल का था, लेकिन अपनी तेज बुद्धि और मजेदार अंदाज के लिए वह जाना जाता था. उस की एक बुरी आदत थी कि वह बड़े-बड़े वादे करता था, लेकिन उन्हें कभी निभाता नहीं था.

हिप्पो कब जाएंगे
क्लोई और जोई हिरण बहनें थीं और एमरल्ड तालाब के पास बसंत में पहली बार तितलियों के साथ खेल रही थीं. अचानक उन्होंने दूर से एक दरियाई घोड़े को आते देखा.

अच्छा पड़ोसी
रविवार की सुबह थी. अभी पौ भी नहीं फटी थी. गिगी जिराफ और बौब भालू, जो और्गेनिक खेती करने वाले पड़ोसी थे और शहर के बाहर ही रहते थे. वे अपने खेतों की ओर तेजी से जा रहे थे. उन के घर एकदूसरे के घर से सटे हुए थे.

बरगद के पेड़ का भूत
चंंपकवन की यह शाम ठंडी और धुंध भरी थी और जंगल असामान्य रूप से शांत था. इतना ही नहीं, चहचहाते झींगुर भी शांत हो गए थे. चीकू खरगोश और मीकू चूहा, स्कूल में एक दिन बिताने के बाद लौट रहे थे और आनंदवन में होने वाली खेल प्रतियोगिता के बारे में बातें कर रहे थे.

खोया हुआ दोस्त
मंची कैटरपिलर और बैडी सेंटीपीड बहुत अच्छे दोस्त थे. उन दोनों के कई पैर थे और उन्हें हरीभरी घास के बीच एकदूसरे के साथ दौड़ लगाना पसंद था.

मिशन अखरोट
बसंत के आगमन के साथ, ब्लूहिल वन गतिविधि से गुलजार हो गया था. जानवर और पक्षी अपने वार्षिक वसंत मेले की तैयारी में व्यस्त थे.

बुरा न मानो होली है
होली दो दिन बाद आने वाली थी और मिली मीरकैट, रोहित रैकून, पोपो पैराकीट और हसन हेजहोग इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि त्योहार कैसे मनाया जाए.

रंगों और पकवानों के साथ होली
“होली रे होली, होली आई रे,” चेतन की दादी के आंगन में खुशी की धुनें गूंज रही थीं। बच्चे इधरउधर दौड़ रहे थे, एकदूसरे पर रंग फेंक रहे थे। उन में से कुछ खंभों के पीछे छिप कर रंगों से बचने की कोशिश कर रहे थे। गुलाल, फूटते पानी के गुब्बारों और पानी की पिचकारियों के रंगबिरंगे स्प्रे से पूरे आंगन में अफरातफरी का माहौल था.

हर्बल होली
होली नजदीक आ रही है. चलो, इस बार कुछ अलग करते हैं,” डिंकी हिरणी ने अपनी सहेलियों से कहा.

गजरू की होली
नंदनवन में होली की तैयारियां जोरों पर थीं, हर जानवर शैतानी से होली की मस्ती की योजना बना रहा था. रंग, गुलाल, पानी के गुब्बारे सबकुछ तैयार किए जा रहे थे, लेकिन एक बार फिर गजरू छछंदर सब से बड़ी बाधा बन गया था.