रेलवे में फरजी टीटीई भरती गैंग
Manohar Kahaniyan|November 2022
सुखदेव सिंह और संदीप सिधाना अपने गैंग के सदस्यों के साथ रेलवे में फरजी टीटीई भरती करने का पूरा गैंग चला रहे थे. दरजनों युवकों से लाखों रुपए ऐंठ कर इन्होंने इन की ड्यूटी नई दिल्ली से रवाना होने वाली कई एक्सप्रेस ट्रेनों में लगा रखी थी. रेलवे अधिकारियों की नाक के नीचे चल रहे इस फरजीवाड़े की जब कलई खुली तो....
उमेश त्रिवेदी
रेलवे में फरजी टीटीई भरती गैंग

कानपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर खड़ी शताब्दी एक्सप्रैस दिल्ली के लिए जाने को तैयार खड़ी थी. इस ट्रेन के एसी चेयर कार क्लास की एक बोगी के गेट पर सफेद कमीज और काली पैंट पहने एक युवक खड़ा बोगी में चढ़ने वालों की टिकट चैक कर रहा था.

उस के गले में सफेद फीते में उस का आईडी कार्ड लटक रहा था. देखने से ही लगता था कि वह युवक टीटीई है और बहुत संजीदगी से अपनी ड्यूटी निभा रहा है.

ट्रेन को चलने में कुछ ही वक्त शेष बचा था. प्लेटफार्म पर लोगों की भीड़ थी और कोलाहल भी बहुत हो रहा था. इन में सफर करने वालों के अलावा वे लोग भी थे जो अपने रिश्तेदारों, मित्रों को यहां तक छोड़ने आए हुए थे.

इसी भीड़ को चीरता हुआ एक पतिपत्नी का जोड़ा उसी बोगी की तरफ बढ़ता आ रहा था, जिस के गेट पर टिकट चैकर खड़ा था. पति के कंधे पर बड़ा सा बैग लटक रहा था और हाथ में पौलीथिन का थैला था. पत्नी की गोद में एक खूबसूरत बच्चा था.

वह शायद लड़का था. उस के छोटे बौबकट बाल और चेहरे से यही लगता था लेकिन उसे फ्रौक पहनाया हुआ होने के कारण यह भी शंका होती थी कि वह लड़की है.

पतिपत्नी तेजी से बोगी के पास आए और डिब्बे में चढ़ने की कोशिश करने लगे तो उस टिकट चैकर युवक ने बहुत गंभीर स्वर में टोक दिया, "अपना टिकट दिखाइए."

"टिकट है हमारे पास," अपना भारी बैग कंधे से उतार कर हाथ में संभालते हुए वह व्यक्ति शालीनता से बोला, "हम डिब्बे में चढ़ जाएं फिर इत्मीनान से आप को टिकट दिखा देंगे."

"नहीं, पहले आप टिकट दिखाइए," टीटीई दरवाजे के सामने अड़ता हुआ बोला.

"सर, टिकट दिखाने के चक्कर में समय लग जाएगा. ट्रेन चलने वाली है. अगर ट्रेन चल पड़ी तो मैं अपनी पत्नी और बच्चे को इस में नहीं चढ़ा पाऊंगा. मेरे पास भारी बैग है, मेरा भी चलती ट्रेन में चढ़ना मुश्किल हो जाएगा.

"आप से कहा न, टिकट दिखाइए," टीटीई इस बार कड़क स्वर में बोला.

स व्यक्ति ने झल्लाते हुए अपना बैग नीचे फर्श पर रख दिया और उस की चेन खोल कर अंदर की पौकेट से रिजर्वेशन टिकट निकाल कर टीटीई की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "लीजिए, कर लीजिए अपनी तसल्ली." 

टीटीई ने टिकट ले कर देखा, "हूं, यह तो आप दोनों पतिपत्नी का टिकट है." 

Diese Geschichte stammt aus der November 2022-Ausgabe von Manohar Kahaniyan.

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