अपने सगे बेटे विकास सिसौदिया और बहू दीक्षा की हत्या की साजिश रचने वाली मां ललिता देवी ने अपने भाई रामबरन के साथ मिल कर हर बिंदु पर गहराई से विचार कर लिया था. राजस्थान के अछनेरा निवासी ललिता देवी और उस के भाई रामबरन राजपूत ने ड्राइवर चमन खान के साथ फुलप्रूफ योजना बनाई थी. रामबरन ने अपने ड्राइवर चमन खान को रुपयों का लालच दे कर योजना में शामिल किया था.
योजनानुसार रामबरन के ड्राइवर चमन खान को बेटा विकास सिसौदिया और बहू दीक्षा के साथ करौली भेजना था. उस की योजना विकास और दीक्षा को कार चलाना सिखाते समय दुर्घटना में मारने की थी.
इस के लिए चमन ने करौली और अछनेरा मार्ग पर कई सुनसान स्थान चिह्नित भी कर लिए थे. इस से किसी को संदेह भी नहीं होता और सभी इसे हादसा समझते.
साजिश यह भी बना ली गई कि यदि पहला प्लान फेल हो जाए तो दूसरे प्लान में दोनों की गोली मार कर हत्या करनी थी. लेकिन किसी भी तरह दोनों घर जिंदा वापस नहीं लौटने चाहिए थे. उन की लाशें ही आनी चाहिए थीं. तीनों एक महीने से उन दोनों की हत्या का प्लान बना रहे थे.
विकास सिसौदिया राजस्थान के करौली जिले में स्थित कैला देवी के दर्शन के लिए जा रहा था, उस समय उस की पत्नी दीक्षा अपने मायके में थी. विकास अपनी ननिहाल ईटकी में मामा रामबरन के पास पहुंचा. ननिहाल से ही मामा ने अपने ड्राइवर चमन खान को उस के साथ योजना के अनुसार भेज दिया था.
मामा के घर आनेजाने के दौरान विकास की चमन से अच्छी जानपहचान हो गई थी. विकास चमन को भी मामा कहता था. कार से विकास अपनी ससुराल पहुंचा और पत्नी दीक्षा को ले कर तीनों करौली पहुंचे.
29 अक्तूबर, 2024 की रात करौली में कैला देवी के दर्शन के बाद तीनों कार से घर वापस आ रहे थे. चमन कार चला रहा था. रामबरन को चमन खान ने पहले ही फोन कर पूरी स्थिति से अवगत करा दिया था. भोजपुर गांव के पास सुनसान स्थान पर चमन ने लघुशंका के बहाने कार रोक दी. उस समय रात के पौने 12 बजे का समय था.
प्लान के मुताबिक मामा रामबरन अपने घर गांव ईटकी से गाड़ी, हथियार, कारतूस ले कर मासलपुर के लिए रवाना हो गया. रामबरन ने चमन को पहले ही हिदायत दे रखी थी कि घटना की भनक विकास और दीक्षा को न लगे. रामबरन ने अपने साथ लाए पिस्टल व कारतूस लघुशंका के बहाने आए चमन को थमा दिए.
Diese Geschichte stammt aus der December 2024-Ausgabe von Manohar Kahaniyan.
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