पिछले 20 सालों से वकालत कर रहीं और सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार की पैनलिस्ट एडवोकेट किरण पांडे हमेशा महिलाओं के लिए कानूनी लड़ाई में सक्रिय रहती हैं. उन्होंने महिलाओं के लिए बने प्रमुख कानून और संविधान में मिले अधिकारों के बारे में बताया.
एक दशक पहले तक देश में महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए दहेज उत्पीड़न व दहेज हत्या के साथ यौन उत्पीड़न से जुड़ा कानून ही था, लेकिन दिसंबर 2016 में हुए निर्भया कांड के बाद देश में यौन शोषण से जुड़े कानून और भी सख्त किए गए, अब अपराधी की उम्र 16 से 18 साल के बीच है तो उसे भी सख्त सजा सुनाई जा सकती है.
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला का पीछा करता है तो इसे भी कानूनी अपराध माना जाने लगा. महिला ऐसे मामलों में पुलिस से शिकायत कर सकती है.
कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ उत्पीड़न- अगर किसी महिला के साथ उस के औफिस में या किसी भी कार्यस्थल पर शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न किया जाता है तो उत्पीड़न करने वाले आरोपी के खिलाफ महिला शिकायत दर्ज कर सकती है.
यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत महिलाओं को कार्यस्थल पर होने वाली शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न से सुरक्षा मिलती है. यह कानून सितंबर, 2012 में लोकसभा और 26 फरवरी, 2013 में राज्यसभा से पारित हुआ.
Diese Geschichte stammt aus der November 2023-Ausgabe von Manohar Kahaniyan.
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