क्या सिंगल रहना एक सोच है?
Rupayan|October 20, 2023
कभी माना जाता था कि महिलाओं को विवाहित होना, सांस लेने के बराबर जरूरी है। लेकिन नए जमाने की महिलाएं अविवाहित यानी सिंगल रहना पसंद कर रही हैं। शिक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता ने उनकी सोच और स्थिति को बदला है। लेकिन क्या सिर्फ यही एक वजह है या कारण और भी हैं?
अलका 'सोनी'
क्या सिंगल रहना एक सोच है?

लड़कियां पहले से ज्यादा आत्मविश्वास से लबरेज दिखती हैं और आज उनकी प्राथमिकताएं भी बदल चुकी हैं। उन्हें अकेले रहना भा रहा है।

40 वर्षीय सुनीता ने केवल इस वजह से सामाजिक समारोहों में जाना छोड़ दिया कि हर जगह लोग यही पूछते हैं कि "शादी के लड्डू कब खिला रही हो?" समाज में महिलाओं का सिंगल रहना एक तरह से वर्जित माना जाता रहा है। अगर किसी समारोह में कोई अविवाहित/सिंगल महिला दिख जाए तो उसके बारे में तरह-तरह की बातें की जाती हैं। कई बार तो ऐसी महिलाओं का उत्सवों में जाना भी मुश्किल हो जाता है। 

वस्तुतः यह समाज का नियम है कि जो चीज आपके पास न हो, लोग उसी के बारे में पूछते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से लड़कियों की रिश्तों में बंधने और कमिटमेंट में रहने की मानसिकता में तेजी से बदलाव आ रहा है। शादी, जिसे सात जन्मों का बंधन माना जाता था, उससे लड़कियां दूर जा रही हैं। आज उन्हें अकेले रहना और आत्मविश्वास से जीना भा रहा है। जमाने की रीति-नीति को झुठलाती ये लड़कियां पहले से ज्यादा आत्मविश्वास से लबरेज दिखती हैं। आज उनकी प्राथमिकताएं भी बदल चुकी हैं।

हाल ही में हुए एक अध्ययन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं सिंगल रहना ज्यादा पसंद करती हैं। डाटा एनालिस्ट 'मिंटेल' द्वारा किए गए इस अध्ययन के अनुसार, जहां 49 फीसदी पुरुष अपने सिंगल स्टेटस से खुश हैं, वहीं 61 फीसदी महिलाएं सिंगल रहना चाहती हैं। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि सिंगल महिलाओं में लगभग 75 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने अपने लिए साथी ढूंढने की कोशिश भी नहीं की, जबकि महिलाओं के मुकाबले ऐसे पुरुष केवल 65 फीसदी हैं।

■ क्या होती है वजह

Diese Geschichte stammt aus der October 20, 2023-Ausgabe von Rupayan.

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