कभी गर्मियों की छुट्टियों में नानी का आंगन, दादा-दादी, नाना-नानी की कहानी और रिश्ते के भाई-बहनों के साथ खेलना ही भाता था, लेकिन आजकल बच्चों की दुनिया मोबाइल की स्क्रीन, सोशल साइट्स, दोस्त और खुद में सिमटकर रह गई है। रिश्ते-नाते जैसे उनके लिए सिर्फ एक औपचारिकता बनते जा रहे हैं। कभी आपने सोचा है कि उनके इस व्यवहार के पीछे क्या वजह हो सकती है? क्यों वे सगे-संबंधियों के आने या उनके घर जाने से कतराते हैं?
■ आजादी और हमउम्र: किशोर अवस्था में बच्चे अपनी आजादी को अधिक महत्व देते हैं। उन्हें माता-पिता पर निर्भर रहना नहीं भाता। रिश्तेदारों के बीच वे खुलकर नहीं रह पाते, इसलिए असहज महसूस करते हैं। इसके अलावा किशोर अवस्था में उनमें शारीरिक और जैविक बदलाव होते हैं। इस उम्र में बच्चे रिश्तेदारियों में जाने के बजाय अपनी उम्र के साथियों को अधिक तवज्जो देते हैं।
Diese Geschichte stammt aus der February 23, 2024-Ausgabe von Rupayan.
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ढीला ढक्कन
“ओफ्फो श्रेया, कुछ काम तो तसल्ली से कर लिया करो। पता नहीं क्यों, हर समय जल्दबाजी में रहती हो?”श्रेया ने आवाज सुन वहीं से जानना चाहा और बोली, “अब क्या हुआ शेखर? क्या कर दिया मैंने?”
सर्दी के मौसम में अदरक का साथ
सर्दियों में अदरक का सेवन करने से शरीर को गरमी और ऊर्जा मिलती है, लेकिन इसका सेवन कितनी मात्रा में करना चाहिए?
ये परदे कुछ खास हैं
परदे घर की खूबसूरती को बढ़ाते हैं और कमरे में रंग, पैटर्न और टेक्सचर की छटा बिखेरते हैं। परदे बाहर से आने वाली गंदगी को घर में आने से भी रोकते हैं और कमरे में एकांत की भावना पैदा करते हैं। इसके साथ ही खूबसूरत परदों के इस्तेमाल से फर्नीचर की शोभा भी बढ़ जाती है। आजकल बाजार में कई डिजाइनों के खूबसूरत परदे आसानी से मिल जाते हैं, जिससे घर की खूबसूरती में चार-चांद लगाए जा सकते हैं।
कहीं छोटा न रह जाए!
बच्चों की हाइट को लेकर कई माता-पिता परेशान रहते हैं, खासतौर से जिनकी हाइट उम्र के हिसाब से कम होती है। जानकार कहते हैं कि ऐसे में आत्मविश्वास को कमजोर न होने दें।
जेन-जी का आकर्षक स्टाइल
जेन-जी के फैशन ट्रेंड्स ने सर्दियों के फैशन को एक नया आयाम दिया है। उसकी स्टाइलिंग में एक ऐसा कॉन्फिडेंस और इनोवेशन है, जो उसे भीड़ में भी सबसे खास दिखाता है।
क्या फट गई हैं एड़ियां?
सर्दियों में कई महिलाओं की एड़ियां फटने लगती हैं। कभी-कभी तो यह समस्या इतनी विकराल हो जाती है कि एड़ियों खून तक आने लगता है। ऐसे आप क्या करती हैं?
नए साल में खिलें फूल की तरह!
दिन बदले। साल बदल गए। खुद को कितना बदला आपने? खुद को कितना 'नया' बनाया आपने? समय-समय पर सकारात्मक बदलाव जरूरी हैं, तभी जिंदगी में कुछ नया होता है।
सपनों की स्टीयरिंग
उस वक्त रोजगार की कोई खास समस्या नहीं थी। समस्या थी तो बस पिता के पास बैठ अपने सपने की बात करना।
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तंदूरी प्याज कुलचा
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