जयंती किसी भी विशेष समारोह में जाती तो ज साड़ी पहन लेती थी। आज निशा के बेटे अंश का जन्मदिन था। घर में ही बर्थडे पार्टी थी। वहां बड़े लोग आने वाले थे, इसलिए उसने सबसे महंगी साड़ी पहन ली। यह साड़ी उसके पति ने तीसरी सालगिरह पर दी थी। सो जयंती ने सोचा कि इस साड़ी से उसका रुतबा बरकरार रहेगा। लेकिन यह क्या! सब उल्टा पड़ गया।
निशा को अपनी बहन जयंती की साड़ी नागवार गुजरी और जयंती को देखते ही लग गई खरी-खोटी सुनाने, "अपना नहीं तो कुछ हमारे स्टेट्स का तो सोच लो।"
"क्या हुआ निशा?" जयंती बोली।
"होगा क्या खाक! जानती हो न, यहां हम सबका उठना-बैठना बड़े शहर और विदेशों में रहने वाले लोगों के साथ है। वे सभी आएंगे पार्टी में और तुम गंवारन जैसी साड़ी पहनकर पसर जाओगी सोफे पर। ऊपर से हिंदी में बकबक करोगी, उफ्फ!"
Diese Geschichte stammt aus der April 12, 2024-Ausgabe von Rupayan.
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