सोशल मीडिया ने आपकी जिंदगी काफी हद तक आसान कर दी है। आप भी इसकी आदी हो चुकी हैं। जैसे-जैसे नई-नई तकनीक विकसित होती जा रही है, वैसे-वैसे यह आपका मनोरंजन भी कर रही है। आप ही बताएं, आप दिन भर सोशल मीडिया पर कितना व्यस्त रहती हैं? आजकल कई महिलाओं को तो सोशल मीडिया पर रील्स देखे बिना नींद तक नहीं आती है। रील्स में जो दिखाया जाता है, उसे वे आंख बंद करके सच मान लेती हैं। इन्हीं रील्स और सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ न कुछ चलता ही रहता है, जिनमें से एक है- 'रिलेशनशिप टेस्ट'। इसमें कभी बर्ड टेस्ट तो कभी 'नेम अ वूमेन' या 'हस्बैंड टेस्ट' वायरल होते रहते हैं, जिनको हम मस्ती-मजाक में आजमाने भी लगते हैं। मगर कई बार यही टेस्ट रिश्तों पर गलत असल भी डालते हैं। सोशल मीडिया सहित कई दूसरे मंचों पर भले ही आपको अपने रिश्ते में प्यार को मापने के कई पैमाने बताए जाएं, लेकिन इनको कभी दिल से न लगाएं। ये आपके रिश्तों को खराब कर सकते हैं या फिर रिश्तों की मिठास को कम कर सकते हैं। टेस्ट के परिणाम मनमाफिक हों, यह जरूरी तो नहीं ! और जब ये परिणाम आपके पक्ष में नहीं आते तो आपको अंदर ही अंदर खोखला कर देते हैं। आप दोनों के बीच गलतफहमियां होने लगती हैं। इस कारण आपका रिश्ता देर-सवेर तार-तार होना शुरू हो जाता है।
टेस्ट का बढ़ता ट्रेंड
Diese Geschichte stammt aus der May 31, 2024-Ausgabe von Rupayan.
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शाप भी देते हैं पितर
धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।
पिंडदान के अलग-अलग विधान
व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।
पितृपक्ष में दान
भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।
स्त्रियों को भी है अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।
किस दिशा से पितरों का आगमन
पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।