कृष्ण की भक्ति और समर्पण की शक्ति
Rupayan|August 23, 2024
श्रीकृष्ण पूर्ण अवतार हैं। वे योगेश्वर हैं, रास के नायक हैं, मुरली के सम्राट हैं तो गीता के जनक भी हैं। इसीलिए उनकी भक्ति मन का उत्सव बन जाती है। भक्त जब उनके समक्ष समर्पण करता है तो 'गोपी' बन जाता है। जन्माष्टमी हमें श्रीकृष्ण की भक्ति और समर्पण की शक्ति प्राप्त करने का अवसर देती है, जो इस वर्ष 26 अगस्त को है।
गुंजन वार्ष्णेय
कृष्ण की भक्ति और समर्पण की शक्ति

जीवन में ऐसा कोई कार्य नहीं है, जो भक्ति और अध्यात्म की शक्ति से पूरा न हो सके। बस, इस शक्ति को जागृत करने की आवश्यकता होती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन शास्त्रोक्त विधि-विधान, नियम-संयम द्वारा भक्त, भगवान की ब्रह्मांड में व्याप्त दिव्य शक्तियों के अंश अपनी भक्ति-शक्ति एवं क्षमता के अनुपात में जागृत करते हैं। श्रीकृष्ण का जीवन और उनकी लीलाएं यह संदेश देती हैं कि सच्ची भक्ति और समर्पण से न केवल भगवान को पाया जा सकता है, बल्कि जीवन की अधूरी अभिलाषाओं को भी पूरा किया जा सकता है, फिर चाहे वो संतान प्राप्ति की अभिलाषा हो या धन, वैभव, ऐश्वर्य की प्राप्ति अथवा दुख निवृत्ति । आज के समय में भी देश-विदेश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर असंख्य भक्तों के मन का उत्साह द्वापर युग की याद दिलाता है।

■ योगमाया है लीला का विस्तार

जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव तो है ही, साथ में श्रीकृष्ण की माया को विस्तार देने वाली योगमाया का भी प्रादुर्भाव दिवस है, जिनका जन्म बालकृष्ण को कंस के हाथों से के लिए हुआ था । भगवती योगमाया ने कन्या के रूप में उस युग में जन्म लेकर मानव जाति को यह दिव्य संदेश दिया कि कन्या का जन्म बलिदान के लिए नहीं होता जब कंस ने देवकी की आठवीं संतान समझकर योगमाया को उसके पैरों से पकड़कर जमीन पर जोर से पटककर मारना चाहा तो योगमाया ने अट्टहास कर कंस से कहा, "मैं चाहूं तो तुम्हें इसी समय मार सकती हैं, किंतु तुमने मेरे पैर पकड़े हैं और तुम्हारा काल कोई दूसरा है, इस वजह से मैं तुम्हारी जान नहीं ले सकती।” योगमाया कंस के चंगुल से छूटकर अंतर्ध्यान होकर स्वर्ग को जाने से पहले कंस को चेतावनी दे गई थीं कि तुम्हारा का जन्म ले चुका है।

■ दुर्लभ संयोग

Diese Geschichte stammt aus der August 23, 2024-Ausgabe von Rupayan.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

Diese Geschichte stammt aus der August 23, 2024-Ausgabe von Rupayan.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

WEITERE ARTIKEL AUS RUPAYANAlle anzeigen
शाप भी देते हैं पितर
Rupayan

शाप भी देते हैं पितर

धर्मशास्त्रों ने श्राद्ध न करने से जिस भीषण कष्ट का वर्णन किया है, वह अत्यंत मार्मिक है। इसीलिए शास्त्रों में पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने को कहा गया है।

time-read
2 Minuten  |
September 13, 2024
हर तिथि का अलग श्राद्धफल
Rupayan

हर तिथि का अलग श्राद्धफल

पितृपक्ष में पितरों के निमित्त तिथियों का ध्यान रखना भी जरूरी है। शास्त्रों के अनुसार, तिथि अनुसार किए गए श्राद्ध का फल भी अलग-अलग होता है।

time-read
2 Minuten  |
September 13, 2024
पितृदोष में पीपल की परिक्रमा
Rupayan

पितृदोष में पीपल की परिक्रमा

शास्त्रों के अनुसार, पितृपक्ष में पितृदोष दूर करने के उपाय जरूर करने चाहिए, ताकि पितर प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दें।

time-read
2 Minuten  |
September 13, 2024
पिंडदान के अलग-अलग विधान
Rupayan

पिंडदान के अलग-अलग विधान

व्यक्ति का अंत समय कैसा रहा, इस आधार पर उसकी श्राद्ध विधि भी विशेष हो जाती है। अलग-अलग मृत्यु स्थितियों के लिए अलग-अलग तरह से पिंडदान का विधान है।

time-read
2 Minuten  |
September 13, 2024
पितृपक्ष में दान
Rupayan

पितृपक्ष में दान

भारतीय संस्कृति में दान की महत्ता अपरंपार है। लेकिन पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। कुछ वस्तुओं के दान को तो महादान माना गया है।

time-read
2 Minuten  |
September 13, 2024
जैसी श्रद्धा, वैसा भोज
Rupayan

जैसी श्रद्धा, वैसा भोज

पितृपक्ष में ब्राह्मण भोज जरूरी है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति अत्यंत गरीब है तो वह जल में काले तिल डालकर ही पूर्वजों का तर्पण कर सकता है।

time-read
2 Minuten  |
September 13, 2024
स्त्रियों को भी है अधिकार
Rupayan

स्त्रियों को भी है अधिकार

यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं।

time-read
2 Minuten  |
September 13, 2024
निस्संतान के श्राद्ध की विधि
Rupayan

निस्संतान के श्राद्ध की विधि

शास्त्रों के अनुसार, पुत्र ही पिता का श्राद्ध कर्म करता है। ऐसे में जो लोग निस्संतान थे, उन्हें तृप्ति कैसे मिलेगी ? शास्त्रों ने उनके लिए भी कुछ विधान बताए हैं।

time-read
2 Minuten  |
September 13, 2024
पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान
Rupayan

पंडित न हों तो कैसे करें पिंडदान

पिंडदान के लिए यदि कोई पंडित उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो ऐसे में शास्त्रों ने इसका भी मार्ग बताया है, जिससे आप श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।

time-read
1 min  |
September 13, 2024
किस दिशा से पितरों का आगमन
Rupayan

किस दिशा से पितरों का आगमन

पितरों के तर्पण में कुछ वास्तु नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिनके पालन से तर्पण का अधिकतम लाभ होता है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

time-read
2 Minuten  |
September 13, 2024