इस तरह से केवल धान में 18.6 मिलियन टन फसल अवशेष का उत्पादन पंजाब व हरियाणा राज्य से होता है. वहीं दूसरी तरफ, सर्वाधिक 67.6 मिलियन टन गेहूं फसल अवशेष उत्पादन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश राज्यों से प्राप्त होता है.
उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा राज्यों में किसान विभिन्न फसलों से प्राप्त फसल अवशेष को जला देते हैं. कुल फसल अवशेष उत्पादन से लगभग 92.8 मिलियन टन अवशेष को जला दिया जाता है. इस तरह से फसल अवशेषों को जलाने से वातावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है.
एक अनुमान के मुताबिक, बदलते मौसम के प्रतिकूल प्रभाव के कारण वर्ष 2040 तक फसलों की उत्पादकता में 10-40 फीसदी तक की कमी आ सकती है.
गेहूं में 1 डिगरी सैल्सियस तापमान में बढ़ोतरी से लगभग 4-5 मिलियन टन उत्पादन में कमी आ सकती है. इसलिए प्राकृतिक संसाधनों को बदलते वातावरण के संदर्भ में संरक्षित व टिकाऊ फसल उत्पादन करने के लिए उचित फसल अवशेष प्रबंधन बहुत जरूरी है. उचित व टिकाऊ फसल अवशेष प्रबंधन विभिन्न विधियों से किया जा सकता है:
संरक्षण खेती
इस विधि में फसलों के अवशेषों को जलाने के बजाय खेत में ही आच्छादन के लिए काम में लिया जाता है, जिस से मृदा उर्वरता में से सुधार होता है व वायु प्रदूषण को भी रोका जा सकता है.
यह फसल उत्पादन की पद्धति है, जिस के अंतर्गत संसाधन संरक्षण तकनीकों की सहायता से अधिकतम व टिकाऊ उत्पादन स्तर के साथसाथ प्राकृतिक संसाधन व पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए फसल उत्पादन किया जाता है.
यह तीन सिद्धांतों- न्यूनतम जुताई व मृदा सतह पर फसल अवशेषों का स्थायी आवरण एवं फसलचक्र विविधीकरण पर आधारित है.
कंपोस्ट
Diese Geschichte stammt aus der December First 2022-Ausgabe von Farm and Food.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने 7 अक्तूबर, 2024 को मूंगफली पर अनुसंधान एवं विकास को उत्कृष्टता प्रदान करने और किसानों की आय में वृद्धि करने हेतु मूंगफली अनुसंधान निदेशालय, जूनागढ़ के साथ समझौतापत्र पर हस्ताक्षर किए.
खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
यह महीना खेतीबारी के नजरिए य से बहुत खास होता है इस महीने में जहां खरीफ की अधिकांश फसलों की कटाई और मड़ाई का काम जोरशोर से किया जाता है, वहीं रबी के सीजन में ली जाने वाली फसलों की रोपाई और बोआई का काम भी तेजी पर होता है.
किसान ने 50 मीट्रिक टन क्षमता का प्याज भंडारगृह बनाया
रकार की मंशा है कि खेती लाभ का धंधा बने. इस के लिए शासन द्वारा किसान हितैषी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं.
खेती के साथ गौपालन : आत्मनिर्भर बने किसान निर्मल
आचार्य विद्यासागर गौ संवर्धन योजना का लाभ ले कर उन्नत नस्ल का गौपालन कर किसान एवं पशुपालक निर्मल कुमार पाटीदार एक समृद्ध पशुपालक बन गए हैं.
जीआई पंजीकरण से बढ़ाएं कृषि उत्पादों की अहमियत
हमारे देश में कृषि से जुड़ी फल, फूल और अनाज की ऐसी कई किस्में हैं, जो केवल क्षेत्र विशेष में ही उगाई जाती हैं. अगर इन किस्मों को उक्त क्षेत्र से इतर हट कर उगाने की कोशिश भी की गई, तो उन में वह क्वालिटी नहीं आ पाती है, जो उस क्षेत्र विशेष \" में उगाए जाने पर पाई जाती है.
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मौजूदा दौर में पराली प्रबंधन का मुद्दा खास है. पूरे देश में प्रदूषण का जहर लोगों की जिंदगी तबाह कर रहा है और प्रदूषण का दायरा बढ़ाने में पराली का सब से ज्यादा जिम्मा रहता है. सवाल उठता है कि पराली के जंजाल से कैसे निबटा जाए ?