चने की खेती और उपज बढाने के तरीके
Farm and Food|December 2024
भारत में बड़े पैमाने पर चने की खेती होती है. चना दलहनी फसल है. यह फसल प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न विटामिनों के साथसाथ मिनरलों का स्त्रोत होती है, जो इसे एक पौष्टिक आहार बनाती है.
स्मिता सिंह, रितेश सिंह
चने की खेती और उपज बढाने के तरीके

चने की खेती भारतीय कृषि में एक प्रमुख स्थान रखती है. विशेष रूप से यह उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में उगाई जाती है.

चना भारतीय भोजन का एक अभिन्न हिस्सा है, जो दाल, सब्जी और स्नैक्स जैसे विविध व्यंजनों में उपयोग किया जाता है. पारंपरिक चने की खेती में कई चुनौतियां होती हैं, जैसे कि कम उत्पादन, रोगों व कीटों से सुरक्षा में कमी और सीमित संसाधनों का उपयोग.

इन समस्याओं का समाधान करने के लिए उन्नत खेती की तकनीकें और विधियां अपनाई जा रही हैं. उन्नत खेती का मकसद न केवल उत्पादन को बढ़ाना है, बल्कि फसल की गुणवत्ता को सुधारना और खेती की लागत को कम करना भी है.

उन्नत खेती की तकनीकों में नई किस्मों का चयन, वैज्ञानिक तरीके से उर्वरक प्रबंधन, प्रभावशाली सिंचाई और रोग व कीट नियंत्रण के उपाय शामिल हैं. इन तकनीकों को अपनाने से किसानों को उच्च उत्पादन, बेहतर फसल गुणवत्ता और आर्थिक लाभ प्राप्त होता है.

चने की उन्नत खेती की विधियां, खेत की तैयारी और चयन

चने की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चयन करना बहुत ही जरूरी है. इस के लिए उपजाऊ मिट्टी का चयन करें, जिस में जीवांश और पोषक तत्त्वों की पर्याप्त मात्रा हो. मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए.

खेत की अच्छी तरह से जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं. अगर मिट्टी में पोषक तत्त्वों की कमी है, तो उर्वरकों का प्रयोग करें.

बीज का चयन : उन्नत किस्मों के बीजों का चयन करें, जो उच्च उपज देने वाले हों और रोग प्रतिरोधी हों. बीजों की गुणवत्ता और शुद्धता की जांच करें. बीजों का चयन करते समय जलवायु और मिट्टी के अनुसार उपयुक्त बीजों की बोआई करें.

चने की प्रमुख किस्में और उन की विशेषताएं

पूसा 372 : यह किस्म उच्च उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी है. इस की उपज 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और अवधि 120-130 दिन है. यह फुसैरियम विल्ट और राइजोक्टोनिया रोग के प्रति प्रतिरोधी है.

काबुली चना 11 : यह किस्म जलवायु परिवर्तन के मुताबिक अनुकूल और उच्च उपज देने वाली है. इस की उपज 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है और अवधि 100-110 दिन है. यह फुसैरियम विल्ट और राइजोक्टोनिया रोग के प्रति प्रतिरोधी है.

Diese Geschichte stammt aus der December 2024-Ausgabe von Farm and Food.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

Diese Geschichte stammt aus der December 2024-Ausgabe von Farm and Food.

Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.

WEITERE ARTIKEL AUS FARM AND FOODAlle anzeigen
कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक
Farm and Food

कचरे के पहाड़ों पर खेती कमाई की तकनीक

वर्तमान में कचरा एक गंभीर वैश्विक समस्या बन कर उभरा है. भारत की बात करें, तो साल 2023 में पर्यावरण की स्थिति पर जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में प्रतिदिन तकरीबन डेढ़ करोड़ टन ठोस कचरा पैदा हो रहा है, जिस में से केवल एकतिहाई से भी कम कचरे का ठीक से निष्पादन हो पाता है. बचे कचरे को खुली जगहों पर ढेर लगाते हैं, जिसे कचरे की लैंडफिलिंग कहते हैं.

time-read
4 Minuten  |
December 2024
सर्दी की फसल शलजम
Farm and Food

सर्दी की फसल शलजम

कम समय में तैयार होने वाली फसल शलजम है. इसे खास देखभाल की जरूरत नहीं होती है और किसान को क मुनाफा भी ज्यादा मिलता है. शलजम जड़ वाली हरी फसल है. इसे ठंडे मौसम में हरी सब्जी के रूप उगाया व इस्तेमाल किया जाता है. शलजम का बड़ा साइज होने पर इस का अचार भी बनाया जाता है.

time-read
2 Minuten  |
December 2024
राममूर्ति मिश्र : वकालत का पेशा छोड़ जैविक खेती से तरक्की करता किसान
Farm and Food

राममूर्ति मिश्र : वकालत का पेशा छोड़ जैविक खेती से तरक्की करता किसान

हाल के सालों में किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कर धरती का खूब दोहन किया है. जमीन से अत्यधिक उत्पादन लेने की होड़ के चलते खेतों की उत्पादन कूवत लगातार घट रही है, क्योंकि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग के चलते मिट्टी में कार्बांश की मात्र बेहद कम हो गई है, वहीं सेहत के नजरिए से भी रासायनिक उर्वरकों से पैदा किए जाने वाले अनाज और फलसब्जियां नुकसानदेह साबित हो रहे हैं.

time-read
6 Minuten  |
December 2024
करें पपीते की वैज्ञानिक खेती
Farm and Food

करें पपीते की वैज्ञानिक खेती

पपीता एक महत्त्वपूर्ण फल है. हमारे देश में इस का उत्पादन पूरे साल किया जा सकता है. पपीते की खेती के लिए मुख्य रूप से जाना जाने वाला प्रदेश झारखंड है. यहां उचित जलवायु मिलने के कारण पपीते की अनेक किस्में तैयार की गई हैं.

time-read
10+ Minuten  |
December 2024
दिसंबर महीने के जरुरी काम
Farm and Food

दिसंबर महीने के जरुरी काम

आमतौर पर किसान नवंबर महीने में ही गेहूं की बोआई का काम खत्म कर देते हैं, मगर किसी वजह से गेहूं की बोआई न हो पाई हो, तो उसे दिसंबर महीने के दूसरे हफ्ते तक जरूर निबटा दें.

time-read
3 Minuten  |
December 2024
चने की खेती और उपज बढाने के तरीके
Farm and Food

चने की खेती और उपज बढाने के तरीके

भारत में बड़े पैमाने पर चने की खेती होती है. चना दलहनी फसल है. यह फसल प्रोटीन, फाइबर और विभिन्न विटामिनों के साथसाथ मिनरलों का स्त्रोत होती है, जो इसे एक पौष्टिक आहार बनाती है.

time-read
6 Minuten  |
December 2024
रोटावेटर से जुताई
Farm and Food

रोटावेटर से जुताई

आजकल खेती में नएनए यंत्र आ रहे हैं. रोटावेटर ट्रैक्टर से चलने वाला जुताई का एक खास यंत्र है, जो दूसरे यंत्रों की 4-5 जुताई के बराबर अपनी एक ही जुताई से खेत को भुरभरा बना कर खेती योग्य बना देता है.

time-read
2 Minuten  |
December 2024
आलू खुदाई करने वाला खालसा पोटैटो डिगर
Farm and Food

आलू खुदाई करने वाला खालसा पोटैटो डिगर

खालसा डिगर आवश्यक जनशक्ति और समय बचाता है. इस डिगर को जड़ वाली फसलों की खुदाई के लिए डिजाइन किया गया है. इस का गियर बौक्स में गुणवत्तापूर्ण पुरजों का इस्तेमाल किया गया है, जो लंबे समय तक साथ देने का वादा करते हैं.

time-read
2 Minuten  |
December 2024
कृषि एवं कौशल विकास से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा
Farm and Food

कृषि एवं कौशल विकास से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा

बातचीत : गौतम टेंटवाल, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री, मध्य प्रदेश

time-read
3 Minuten  |
December 2024
गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय
Farm and Food

गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के प्रभावी उपाय

खरपतवार ऐसे पौधों को कहते हैं, जो बिना बोआई के ही खेतों में उग आते हैं और बोई गई फसलों को कई तरह से नुकसान पहुंचाते हैं. मुख्यतः खरपतवार फसलीय पौधों से पोषक तत्त्व, नमी, स्थान यानी जगह और रोशनी के लिए होड़ करते हैं. इस से फसल के उत्पादन में कमी होती है.

time-read
3 Minuten  |
December 2024