अन्य खाद्यान्न फसलों की तुलना में सूरजमुखी के उगाने में उत्पादन लागत कम आती है और शुद्ध लाभ अधिक प्राप्त होता है.
इस फसल की भरपूर उपज न मिल पाने के कई कारण हैं. इन में कीड़ों का प्रकोप एक प्रमुख कारण है, जो फसल को जमाव से ले कर कटाई तक सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाते हैं.
विभिन्न क्षेत्रों में इन कीटों द्वारा तकरीबन 30-40 फीसदी तक नुकसान आंका गया है. सूरजमुखी की भरपूर उपज प्राप्त करने के लिए इस में लगने वाले प्रमुख कीटों की पहचान, नुकसान और प्रबंधन के बारे में जानकारी होना बहुत ही जरूरी है.
मुंडक बेध
यह सूरजमुखी की फसल का एक प्रमुख कीट है, जो सामान्य अवस्था में 20-25 फीसदी तक फसल को नुकसान पहुंचाता है, किंतु कभीकभी यह कीट 40-70 फीसदी तक फसल को नुकसान पहुंचा देता है.
यह एक बहुभक्षी कीट है, जो अन्य कई फसलों पर आक्रमण करता है और सालभर सक्रिय रहता है. इस कीट का प्रौढ़ पतंगा मोटा एवं हलके भूरे रंग का होता है. अगले पंख पीलेभूरे रंग के और पिछले पंखों के पीछे के हिस्से कुछ कालापन लिए हुए धुएं के रंग के होते हैं.
इस कीट की मादा पौधे के कोमल भागों एवं पुष्प कलिकाओं पर अंडे देती है. इन अंडों से 4-6 दिन में सूंड़ियां निकलती हैं, जो चमकीले हरे भूरे रंग की होती हैं. ये नवजात सूंड़ियां पौधे की पत्तियों, कलिकाओं एवं कोमल भागों को खाना शुरू कर देती हैं. बाद में ये सूंड़ियां मुंडक में छेद कर के अंदर प्रवेश कर जाती हैं और विकसित हो रहे दानों को खा कर नुकसान पहुंचाती हैं.
प्रबंधन
Diese Geschichte stammt aus der April Second 2023-Ausgabe von Farm and Food.
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उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
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