इस का वानस्पतिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है. इसे हिंदी में सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से जाना जाता है. सहजन को अंगरेजी में ड्रमस्टिक भी कहा जाता है.
इस पेड़ के सभी भाग फल, फूल, पत्तियों, बीजों में अनेक पोषक तत्त्व होते हैं. इसलिए इस का उपयोग कई प्रकार से किया जाता है. यदि आप इस की एक एकड़ में भी खेती करते हैं, तो आप को 6 लाख रुपए की कमाई हो सकती है. सहजन के उत्पादन की खास बात यह है कि इसे बंजर जमीन में भी उगाया जा सकता है, वहीं किसी अन्य फसल के साथ भी इस की खेती की जा सकती है.
सहजन की उन्नत किस्में
मोरिंगा की उन्नत किस्में विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केंद्रों, आईसीएआर अनुसंधान केंद्रों आदि द्वारा विकसित की गईं, जिन की उत्पादन क्षमता, पकने की अवधि, गुणता आदि की बातें ध्यान में रखने के लिए उन्नत किस्मों का विकास किया, जो लाभदायक होती हैं.
उन्नत किस्मों में कुछ किस्में ऐसी हैं, जो अधिक उत्पादन देती हैं. सहजन की उन्नत किस्मों में कोयंबटूर 2, रोहित 1, पीकेएम 1 और पीकेएम 2 काफी अच्छी मानी जाती हैं. इस के अलावा ओडीसी, सीओ-1 आदि किस्मे भी विकसित हैं.
टीएनएयू ने वर्ष 1989 में पीकेएम किस्म जारी की. इसे तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के एपोथुमवेंद्रन इलाके में एकत्र किए गए पेड़ों से विकसित किया गया था. इस का प्रवर्धन केवल बीजों से होता है.
पीकेएम 1 झाड़ीदार रूप में और मध्यम से बौने आकार की एक प्रारंभिक किस्म है, जो रोपण के बाद पहले वर्ष में 4 मीटर की ऊंचाई तक पहुंचती है और यह फसल के बाद तेजी से बढ़ती है. पत्तियां ऊपर की तरफ चौड़ी और गहरे हरे रंग की होती हैं और नीचे की तरफ हलके हरे रंग की होती हैं.
यह किस्म उच्च तीव्रता की खेती में पत्ती उत्पादन के लिए काफी उपयुक्त है और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण ड्रमस्टिक उत्पादन के लिए रोपित किस्म हो सकती है.
यह बोआई के 3-4 महीनों के भीतर फूल और केवल 6-7 महीनों में पहली फली का उत्पादन कर सकता है. हालांकि फूल 25-150 प्रति क्लस्टर के गुच्छों में होते हैं. आमतौर पर केवल एक फली विकसित होती है, शायद ही कभी 2-4 फलियां.
Diese Geschichte stammt aus der May First 2023-Ausgabe von Farm and Food.
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