अगर हमारे किसान स्वयं आम की प्रजाजियों की नर्सरी तैयार कर बागबानी के लिए उपयोग में लाएं, तो उन्हें विश्वसनीय प्रजाति के साथ अच्छे उत्पादन देने वाले पौधे कम लागत में प्राप्त हो हैं. इसी के साथ आम की नर्सरी को कारोबारी स्तर पर तैयार कर अन्य किसानों में बेच कर अच्छी आमदनी प्राप्त की जा सकती है.
आम की नर्सरी तैयार करने की सब से उपयुक्त कलम विधि होती है, क्योंकि इस विधि से हम जिस प्रजाति के पौधों को तैयार करना चाहते हैं, वह कम समय और कम लागत में तैयार हो जाती है. साथ ही, पौधे में फल भी जल्दी आना शुरू हो जाता है.
इस के लिए जरूरत होती है कि जिस प्रजाति के पौधे तैयार करने हों, उस प्रजाति के 5-6 साल पुराने पौधे आप के पास लगे हों. इन्हीं पुराने पौधों के कल्ले को कलम कर बीज से तैयार पौधों में संवर्धित किया जाता है. कलम से आम की नर्सरी तैयार करने के लिए निम्न तरीके अपनाने पड़ते हैं :
आम की गुठलियों से पौध तैयार करना
आम से कलम विधि से नर्सरी तैयार करने के लिए बीजू पौधों की जरूरत पड़ती है, जिस के लिए आम की गुठलियों को जमीन में रोप कर तैयार किया जाता है.
बीज से पौध तैयार करने के लिए भूमि के चयन पर ध्यान देना जरूरी होता है. इस के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिस में गोबर की सड़ी खाद या उपलब्धता के अनुसार वर्मी कंपोस्ट मिला कर मिट्टी को भुरभुरी बना लेते हैं. इस में यह भी ध्यान देना होता है कि जिस स्थान पर हम आम की गुठलियों को नर्सरी में डाल रहे हैं, वहां की जमीन समतल व ऊंची हो, जहां बरसात का पानी न लगे.
नर्सरी में आम की गुठलियों से पौध तैयार करने के लिए हमें देशी प्रजाति के बीजों की आवश्यकता पड़ती है, जो हमें जिला उद्यान विभाग या लखनऊ के मलीहाबाद के बीज उपलब्ध कराने वाली फर्मों से मिल सकते हैं.
देशी आम की गुठलियां, जिन्हें हम पपैया कहते हैं, को जुलाई के प्रथम सप्ताह से ले कर अगस्त के प्रथम सप्ताह तक 8x8 फुट की क्यारियां बना कर डालनी चाहिए.
Diese Geschichte stammt aus der July-I 2023-Ausgabe von Farm and Food.
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