लीची को पकाने के लिए किसी भी कैमिकल की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि यह कुदरती रूप से ही पकता है, इसलिए इसे स्वाद और सेहत का खजाना माना जाता है.
फलों के राजा आम से ठीक पहले बाजार में आ जाने के चलते किसानों के लिए आर्थिक लिहाज से काफी महत्त्वपूर्ण माना जाता है. लीची का फल लाल रंग का होता है, इसीलिए इसे 'फलों की रानी' कहते हैं.
अगर क्षेत्रफल के लिहाज से देखा जाए, तो भारत चीन के बाद पूरी दुनिया में दूसरे नंबर पर है. जबकि चीन पहले स्थान पर है. भारत फलों के क्षेत्रफल और उत्पादन की नजर से दुनिया में 9 वें नंबर पर है.
भारत में लीची का औसत उत्पादन 6 टन प्रति हेक्टेयर है, देश में बिहार लीची उत्पादन में पहले नंबर पर है, जबकि पश्चिम बंगाल दूसरे नंबर पर है.
लीची के फल की ऋतु बहुत छोटी होती है, जो 45 से 60 दिन की होती है. इस के ठीक बाद आम की फसल आ जाती है. कभीकभी कम समय में लीची के अधिक उत्पादन से किसानों को भारी माली नुकसान उठाना पड़ता है.
बाजार में लीची के फलों की बाढ़ आ जाती है. लीची का फल चूंकि पकी अवस्था में तोड़ा जाता है, इसलिए यह लंबे समय तक टिक नहीं पाता और किसान को इसे औनेपौने दाम पर बेचना पड़ता है.
इस नुकसान से बचने के लिए हमारे किसानों को फल की तुड़ाई के प्रबंधन की जानकारी होनी चाहिए. फल प्रबंधन में फल तोड़ने के बाद प्रीकूलिंग, सल्फरिंग और कम तापमान पर स्टोर करना होगा.
बागबानी के लिए मुफीद आबोहवा
लीची समशीतोष्ण फल है. यह कम ऊंचाई और अच्छे जल निकास वाली भूमि में आसानी से उगाया जा सकता है.
लीची की खेती हलकी अम्लीय मिट्टी में बहुत अच्छे तरीके से की जा सकती है, इसलिए ऐसे क्षेत्रों में, जहां का तापमान 7 डिगरी से 40 डिगरी सैल्सियस के मध्य होता है, वहां लीची का उत्पादन बहुत अच्छा होता है. फ्लावरिंग के समय वर्षा जहां न होती हो, वहां पर लीची का अच्छा उत्पादन होता है.
Diese Geschichte stammt aus der April First 2024-Ausgabe von Farm and Food.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
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खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
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