ऐसा नहीं है कि ऐसी सागसब्जियों की खेती बड़े लैवल पर नहीं होती है, तो बाजार नहीं मिलेगा, क्योंकि इस में से कुछ ऐसी भी हैं, जिन्हें आमतौर पर हर व्यक्ति जानता है और उस के खास स्वाद व पोषक गुणों के चलते पसंद भी करता है. मगर बाजार में ज्यादा आवक न होने के कारण लोगों तक इन की पहुंच नहीं हो पा रही है. इन्हीं में से एक है कलमी यानी करमुआ का साग, जिसे आमतौर पर जलीय पालक, वाटर पालक, स्कैंप कैबेज, करेमू, वाटर स्पिनेच या नारी के नाम से भी जाना जाता है. यह साग आमतौर पर तालाबों में अपनेआप उगता है और विकसित होता है, लेकिन इस की कई उन्नत किस्में भी हैं, जिन का तालाब और खेत दोनों में खेती किया जाना आसान है.
कलमी साग खाने में जितना लजीज होता है, उस से कहीं ज्यादा इस में मौजूद पोषक तत्त्व इसे खास बनाते हैं. कलमी साग के संपूर्ण भाग का उपयोग खाने में किया जाता है.
आमतौर पर इस के पौधे लतादार होते हैं, जो पानी पर तैरते रहते हैं. यह मुख्यतया उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा एवं कर्नाटक में साग के लिए उगाया जाता है. सामान्यतः इसे 2 वर्षीय या बहुवर्षीय साग के रूप में उगाया जा सकता है. कलमी साग के पत्ते एवं तने से सब्जी एवं मुलायम भाग को सलाद के रूप में प्रयोग करते हैं.
पोषक तत्त्वों से है भरपूर
कलमी साग में प्रचुर मात्रा में विटामिंस पाए जाते हैं. यह एक शुगर फ्री साग है, इसलिए इसे डायबिटीज के मरीज भी आसानी से खा सकते हैं. इस साग में वसा एवं ऊर्जा मूल्य कम होती है, जबकि जटिल कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है. यह शरीर में कोलैस्ट्रोल के स्तर को कम करने में काफी मददगार है. शाकाहारी व्यक्तियों के लिए यह साग सस्ते प्रोटीन का एक अच्छा विकल्प है.
Diese Geschichte stammt aus der May Second 2024-Ausgabe von Farm and Food.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
भारत में काम करने वाली संस्था 'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' से जुड़े 3 अधिकारियों संस्थापक ट्रस्टी सुनील वर्गीस, संस्थापक ट्रस्टी राजेंद्र पाठक और प्रोजैक्ट हैड सुनील पांडेय को गरीबी उन्मूलन और जीरो हंगर पर काम करने के लिए 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से नवाजा गया.
लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
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बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार
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खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
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