सरसों की फसल में कीटों का प्रकोप व नियंत्रण
आरा मक्खी : सरसों की फसल में अंकुरण के 25 से 30 दिन बाद आरा मक्खी का प्रकोप शुरू हो जाता है. यह कीट फसल को अधिक नुकसान पहुंचाता है. शुरुआत में ये कीट फसल के छोटे पौधों पर दिखाई देते हैं. इस दौरान इस की गिडारें पत्तियों को कुतरना शुरू करती हैं. इस के बाद ये खाने के लिए किनारे से मध्य शिरा की ओर बढ़ती हैं.
ये कीट पत्तियों को तेजी से खात हैं और पत्तियों में अनगिनत छेद बनाते हैं. गंभीर संक्रमण के मामलों में पत्तियां पूरी तरह से शिराओं के जाल में बदल जाती हैं.
आरा मक्खी के प्रबंधन के लिए अंकुरित अवस्था में सिंचाई करने से ज्यादातर लार्वा डूबने के प्रभाव से मर जाते हैं. अगर कीटों का प्रकोप ज्यादा है, तो इस की रोकथाम के लिए मैलाथियान ईसी 50 फीसदी प्रति 1200 मिलीलिटर 400-800 लिटर पानी प्रति हेक्टेयर की दर से या मिथाइल पैराथियान 2 फीसदी डीपी प्रति 12,000 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसी एक का छिड़काव करें.
माहू कीट : सरसों की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला दूसरा सब से महत्त्वपूर्ण कीट माहू यानी चैंपा है. इस के वयस्क और शिशु दोनों ही पत्तियों, कलियों और फलियों का रस चूस कर अपना भोजन ग्रहण करते हैं. इस से संक्रमित पत्तियां मुड़ जाती हैं और बाद के चरण में पौधे सूख कर मुरझा जाते हैं, पौधों का विकास रुक जाता है. इस कारण पौधे बौने रह जाते हैं.
Diese Geschichte stammt aus der October 2024-Ausgabe von Farm and Food.
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फार्म एन फूड की ओर से सम्मान पाने वाले किसानों को फ्रेम कराने लायक यादगार भेंट
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड
'चाइल्ड हैल्प फाउंडेशन' के अधिकारी हुए सम्मानित
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लखनऊ में हुआ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के किसानों का सम्मान
पहली बार बड़े लैवल पर 'फार्म एन फूड' पत्रिका द्वारा राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' का आयोजन लखनऊ की संगीत नाटक अकादमी में 17 अक्तूबर, 2024 को किया गया, जिस में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड से आए तकरीबन 200 किसान शामिल हुए और खेती में नवाचार और तकनीकी के जरीए बदलाव लाने वाले तकरीबन 40 किसानों को राज्य स्तरीय 'फार्म एन फूड कृषि सम्मान अवार्ड' से सम्मानित किया गया.
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खाद्य तेल के दामों पर लगाम, एमआरपी से अधिक न हों दाम
केंद्र सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के सचिव ने मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए पिछले दिनों भारतीय सौल्वेंट ऐक्सट्रैक्शन एसोसिएशन (एसईएआई), भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) और सोयाबीन तेल उत्पादक संघ (सोपा) के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की.
अक्तूबर महीने में खेती के खास काम
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