टीनएजर्स को फ्रेंचाइज, पिज्जा और बर्गर की जगह फल और सब्जियों के महत्त्व को समझा पाना मुश्किल है। लेकिन ऐसा करने की जरूरत है। जंक फूड्स से जुड़े, सभी पहलुओं के बारे में बता रही हैं, इत भाटिया (सीनियर डायटीशियन, पारस हास्पिटल, गुड़गांव)।
किशोरावस्था में अच्छा पोषण महत्त्वपूर्ण है। इस समय बच्चा का दिमाग और शरीर बढ़ रहा होता है। ज्यादा ऊर्जा खर्च होने वाले इन दिनों में सही भोजन की आवश्यकता होती है। इसके बावजूद विकास के इन वर्षों में फास्ट फूड्स टैक के इतने घुमावदार रास्ते हैं कि बुनियादी खाद्य पदार्थ काफी पीछे रह बहुत जाते हैं। कई परवारों में जीवन की रफ्तार तेज है और कमकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ते जाने से स्वास्थ्य के प्रति जगरूक अभिभावक भी खाने की अनअपेक्षित आदतों को स्वीकार करना आसान महसूस कर रहे हैं।
आजादी ऐसी भी
किशोरों की खाने की आदत आमतौर पर बड़ी अजीब होती है और इसका कारण संभवतः साथियों के दबाव में और स्वतंत्र रहने की इच्छा से है। अफसोस की बात यह है कि कुछ तो खाने को दुश्मन मानते हैं और दुबला रहने के लिए इससे बचते हैं। कई लोग नाश्ता नहीं करते, काफी सारे फास्ट फूड्स या जंक फूड्स खाते हैं और बड़े पैमाने पर सप्लीमेंट फूड्स पर ही रहते हैं। ऐसा देखा गया है कि टीनएजर्स ऐसा ज्यादा स्वतंत्र महसूस करने के लिए करते हैं या फिर अपने पैसे से अपनी आजादी का प्रदर्शन करना चाहते हैं।
किशोरों में 25 से 40 प्रतिशत का वजन उनकी उम्र के अनुपात में ज्यादा होता है। इसकी वजह मुख्य रूप से व्यायाम की कमी और पिज्जा, बर्गर, जंक फूड के रूप में काफी सारा वसा और मीठा खाते हैं, जो न सिर्फ कैलोरी बढ़ाते हैं। यह समस्या भावनात्मक बन सकती है और अजीब सा चक्र बन सकता है।
व्यवहार पर असर
Diese Geschichte stammt aus der August 2024-Ausgabe von Sadhana Path.
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तुलसी से दूर करें वास्तुदोष
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा हर घर-आंगन की शोभा है। तुलसी सिर्फ हमारे घर की शोभा ही नहीं बल्कि शुभ फलदायी भी है। कैसे, जानें इस लेख से।
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बड़ी अनोखी है कार्तिक स्नान की महिमा
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। बारह पूर्णिमाओं में कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व सर्वाधिक है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
सिर्फ एक ही ईश्वर है और उसका नाम हैं सत्यः नानक
सिरवों के प्रथम गुरु थे नानक | अंधविश्वास एवं आडंबरों के विरोधी गुरुनानक का प्रकाश उत्सव अर्थात् उनका जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु नानक का मानना था कि ईश्वर कण-कण में व्याप्त है। संपूर्ण विश्व उन्हें सांप्रदायिक एकता, शांति एवं सद्भाव के लिए स्मरण करता है।
सूर्योपासना एवं श्रद्धा के चार दिन
भगवान सूर्य को समर्पित है आस्था का महापर्व छठ । ऐसी मान्यता है कि इस पर्व को करने से सूर्य देवता मनोकामना पूर्ण करते हैं। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह पर्व मनाया जाता है, जिस कारण इस पर्व का नाम छठ पड़ा। जानें इस लेख से छठ पर्व की महत्ता।
एक समाज, एक निष्ठा एवं श्रद्धा की छटा का पर्व 'छठ'
छठ की दिनोंदिन बढ़ती आस्था और लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कुछ तो विशेष है इस पर्व में जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। पूजा के दौरान अपने लोकगीतों को गाते हुए, जमीन से जुड़ी परम्पराओं को निभाते हुए हर वर्ग भेद मिट जाता है। सबका एक साथ आकर बिना किसी भेदभाव के ईश्वर का ध्यान करना... यही तो भारतीय संस्कृति है, और इसीलिए छठ है भारतीय संस्कृति का प्रतीक।
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