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कुछ भी कचरा नहीं है!

Aha Zindagi

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March 2025

घर की सफ़ाई कर कचरा फेंकने की तैयारी हो रही है तो ज़रा ठहर जाइए और थोड़ा विचार करिए, क्या इसे फेंकना ज़रूरी है या फिर ये किसी और काम आ सकता है। आपके नहीं तो किसी और के ही सही।

- रितिका अग्रवाल

कुछ भी कचरा नहीं है!

अगर अनुपयोगी लगता ही है तो क्या उसका सही तरीके से निबटान कर रहे हैं जिससे पर्यावरण आहत ना हो।

मेहल्ले के कोने पर एक छोटी सी दुकान थी - सुबोध चाचा की कबाड़ी की दुकान। बाहर से देखने पर यह किसी आम कबाड़खाने जैसी ही लगती थी, लेकिन जो भी वहां आता, उसे चाचा की बातों में एक अलग ही सीख मिलती। पुराने अख़बारों के ढेर, प्लास्टिक की बोतलें, टूटे-फूटे बर्तन और लोहे के टुकड़े वहां इकट्ठे रहते।

जब भी बच्चे अपनी पुरानी किताबें बेचने आते, चाचा मुस्कराकर कहते, 'बेटा, कचरा नहीं, ये तो ख़ज़ाना है !' बच्चे चौंकते, लेकिन चाचा की आंखों में चमक होती। उन्हें पता था कि इस कचरे को सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो यह सच में किसी ख़ज़ाने से कम नहीं। वैश्विक रीसाइक्लिंग दिवस (18 मार्च) पर इसके महत्व को समझने की कोशिश करते हैं।

कुतुब मीनार से भी ऊंचा है कचरे का ढेर

Aha Zindagi

Diese Geschichte stammt aus der March 2025-Ausgabe von Aha Zindagi.

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