काम किया पर, कामकाजी न बन सकीं
Anokhi|June 22, 2024
हम चांद पर पहुंच चुके हैं। तरक्की के घूमते पहिए हमारी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाते जा रहे हैं। पर, महिलाओं के स्थिति जस की तस है। वह कल भी घर में ठिठकी थीं और आज भी ऐसा करने को मजबूर हैं। क्यों बड़ी संख्या में कामकाजी महिलाओं को आज भी छोड़नी पड़ती है नौकरी, बता रही हैं
दिव्यानी त्रिपाठी
काम किया पर, कामकाजी न बन सकीं

किसी की बेटी, किसी की पत्नी, किसी की मां और किसी बड़ी कंपनी की सीईओ भी। जब से वह होश संभालती हैं, तब से तमाम बंदिशों के बावजूद खुले आसमान में उड़ना चाहती हैं। वह भी करियर बनाना चाहती हैं। खुद पर गर्व करना चाहती हैं। पर, क्या वास्तव में ऐसा होता है? क्या यह सच है कि वह अपने करियर को आगे बढ़ा पाती है? अब आप कहेंगी हां, बिल्कुल आज लड़कियां क्या नहीं कर रहीं। आसमान छू रही हैं। हर क्षेत्र लड़कियों की भागीदारी है। यह सच है। पर, एक सच भी है कि ऐसी लड़कियों को हाथों की उंगलियों पर गिना जा सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि 73 फीसदी भारतीय महिलाएं मां बनने के बाद नौकरी छोड़ देती हैं, जबकि 50 प्रतिशत महिलाएं अपने बच्चों की देखभाल के लिए 30 साल की उम्र में इस्तीफा दे देती हैं। यानी उनके हिस्से आता है, सप्ताह के सात दिन और चौबीसों घंटे की जिम्मेदारी और उनका पद होता है, हाउस वाइफ। यकीनन इसमें कोई बुराई नहीं। पर, तब जब यह उन्होंने अपनी इच्छा से चुना हो। पर, अधिकांश महिलाएं स्वेच्छा से करियर के बीच में नौकरी छोड़ने का निर्णय नहीं लेती हैं। घर, परिवार, बच्चे और ऑफिस की जिम्मेदारियों के चक्रव्यूह में बुरी तरह दबने के बाद थक-हार कर वो ऐसा करने का निर्णय लेती हैं।

आंकड़े बताते हैं कहानी

Diese Geschichte stammt aus der June 22, 2024-Ausgabe von Anokhi.

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