डिजिटल वर्ल्ड यूथ की रूटीन लाइफ का हिस्सा बन चुका है. आप सुबह सब से पहले अंधली नींद में अपना फोन चैक करते हैं. इन्फोर्मेशन के लिए न्यूजपेपर की जगह कच्ची जानकारी वाले व्हाट्सऐप देखते व फौरवर्ड करते हैं, अपने ईमेल और सोशल मीडिया फीड के माध्यम से बिना सोचेसमझे स्क्रौल करना शुरू कर देते हैं.
देखते ही देखते आप क्लिक और टैप के ऐसे भंवर में फंस जाते हैं जिस से कीमती टाइम और मैंटल एनर्जी बरबाद होने लगती है. जिन इन्फोर्मेशंस को आप पढ़ रहे होते हैं वे सही हैं या नहीं, यह जाने बगैर आप का फोन आप की उंगलियों को अपने इशारों पर नचा रहा होता है और आप ऐप और प्लेटफौर्म के ऐसे जाल में फंसते चले जाते हैं जो आप को सिर्फ एक कंज्यूमर समझता है, जिसे वह किसी भी हाल में अपना प्रोडक्ट बेचना चाहता है.
यही खासीयत है डिजिटल वर्ल्ड की कि जिन ऐप्स और प्लेटफौर्म्स का हम हर दिन उपयोग करते हैं, जितना अधिक वे हमारा ध्यान खींचते हैं, वे कंज्यूमर और प्रोडक्ट के इस खेल में उतने ही अधिक सफल होते जाते हैं. लेकिन यह बहुत कम लोग ही जानते हैं कि वे इसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के एल्गोरिदम मैथड को यूज कर के सफल होते हैं.
क्या है एल्गोरिदम मैथड
कंप्यूटर साइंस के अनुसार, एल्गोरिदम एक प्रकार का प्रोग्रामिंग प्रोसैस है, जिस की टैक्नोलौजी के आधार पर औनलाइन कंज्यूमर को एनालिसिस किया जाता है और उस की हर गतिविधि का सटीक अनुमान लगाया जाता है. यह तकनीक लगभग हर औनलाइन प्लेटफौर्म यूज करता है.
इस का इंपैक्ट समझिए कि, मानिए पटना के कचौड़ी गली के मकान नंबर 13 में बैठा अशोक जब औनलाइन शौपिंग साइट 'अजियो' पर अपने लिए वाइट कलर का 7 नंबर साइज वाला लेसअप स्नीकर शूज देखता है और थोड़ा भी समय बिताता है तो उस के बाद, वह चाहे दूसरे किसी भी प्लेटफॉर्म या साइट पर विजिट करने लग जाए उसे उसी रंग, साइज, स्टाइल वाला स्नीकर फ्लैश होता दिखाई देगा.
यह आप ने भी देखा होगा कि यदि आप किसी प्रोडक्ट को किसी साइट पर देख रहे होते हैं तो उस प्रोडक्ट के रिकमंडेशन आप को लगातार आते दिखाई देते हैं. यह आप की स्क्रीन पर लगातार फ्लैश होता है, दरअसल, यही काम इंटरनैट एल्गोरिदम करता है.
Diese Geschichte stammt aus der December 2023-Ausgabe von Mukta.
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