मिलेनियल यूथ तेजी से अमीर बनना चाहता है. सब को शौर्टकट की तलाश है. नौकरियां मिल नहीं रही हैं, न ही किसी का नौकरियों में मन लग रहा है जब तक कि वह सरकारी न हो. छोटी सी तनख्वाह और जीवनभर की दौड़ सब को निराश, उत्तेजित और हतोत्साहित कर रही है. बड़ेबड़े सपने उन्हें लगातार रिस्क लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं. ऐसे में वे सब से बड़े सट्टा बाजार की तरफ आकर्षित हो जाते हैं, जो कुछ ही मिनटों में लाखों रुपया बना देने की बात करता है.
नएनए युवा इस में खासकर अपना भाग्य आजमाने को उतर जाते हैं, लेकिन भाग्य जैसी कोई चीज होती है भला? ये कभी अपनी बचत, कभी मांबाप की जमापूंजी तो कभी ब्याज और लोन पर पैसे ले कर अपनी जमापूंजी एक झटके में डुबो देते हैं.
कितनी ही खबरें आती हैं कि सारा पैसा डूबने की वजह से लोग अपनी जान दे रहे हैं. नौकरीपेशा, प्रोफैशनलिस्ट और नए लड़के तक अपनी हार्डकोर कमाई को आधेअधूरे ज्ञान के साथ स्टौक मार्केट में लगा रहे हैं.
हाल ही की घटना है. भोपाल के गौतम नगर इलाके में एमबीबीएस राकेश कुमार मनहर ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. सुसाइड नोट में उस ने लिखा, "मैं ने रुपया कमाने की चाह में शेयर मार्केट में लाखों रुपए इन्वैस्ट कर दिए. इन्वैस्ट करने के बाद लगातार घाटा ही हुआ. स्थिति यह हो गई कि आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है." यह अकेला केस नहीं है.
उस के बाद 5 अगस्त को हुए शेयर मार्केट में घाटे से दुखी आंध्र प्रदेश के 31 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ ने पत्नी और 2 बेटियों की हत्या करने के बाद आत्महत्या कर ली. तकनीकी विशेषज्ञ ने शेयरों में इन्वैस्ट करने के लिए काफी कर्जा लिया हुआ था. ब्रोकरों द्वारा उन्हें हाई रिटर्न का दिया गया लालच उन को भारी पड़ गया. घाटा लगातार बढ़ता गाया और वे कर्ज में डूबते चले गए, जिस के बाद तनाव में उन्होंने यह कदम उठाया.
ऐसा ही कुछ बिटकौइन में इन्वैस्ट करने वालों का रहा. अंकित मार्च में बीकौम सैकंड ईयर का स्टूडेंट था और बिटकौइन में पैसा खोने के कारण तनाव में था. लखनऊ के रहने वाले अंकित ने अच्छी कमाई के चक्कर में क्रिप्टो ट्रेडिंग में भारी इन्वैस्टमैंट किया जो कि डूब गया. उस के बाद उस ने आत्महत्या कर ली.
Diese Geschichte stammt aus der December 2023-Ausgabe von Mukta.
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