CATEGORIES
Kategorien
मोक्षद्वार पर सन्नाटा
कोरोना महामारी के दौर में हमेशा के लिए साथ छोड़ते प्रियजनों का अंतिम दर्शन तक भी कर पाना दुश्वार हुआ. अंत्येष्टि के रस्मोरिवाज भी बदलने पड़ रहे
भविष्य का झरोखा
शानदार प्रदर्शन करने वाले क्षेत्र नए स्नातकों में क्या तलाश कर रहे हैं और वे क्या प्रदान करते हैं
महामारी की जांच में खामियां
भारत की जांच रणनीति मुकम्मल होने से कोसों दूर है. अभी ये टेस्ट किट हासिल करने, बीमारी का दायरा समझने और माकूल जवाबी कार्रवाई तय करने की जद्दोजहद कर रही है
कोरोना की नियंत्रण रेखा
हॉटस्पॉट और उनके भीतर कंटेन्मेंट जोन वे क्षेत्र हैं जहां विशेष जोर देकर सरकारें लॉकडाउन की बढ़ाई गई अवधि का अधिकतम लाभ उठा सकती हैं
केरल ने कैसे पाया काबू
दक्षिण के इस राज्य का कोविड-19 महामारी से लड़ने का कौशल और स्वास्थ्य तंत्र का अफसाना जानने लायक है. दूसरे भी ले सकते हैं इससे सबक
कैसे हो वापसी की रणनीति कारगर
अहम यह है कि संक्रमण के दूसरी बार प्रकोप की आशंका से निपटने के लिए स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत किया जाए, जरूरतमंदों को पर्याप्त राहत मुहैया कराया जाए और खस्ताहाल अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया जाए
बदहाली से उबरने की मुश्किल राह
लॉकडाउन से ठप हुई अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए बेहद साहसी कदम की दरकार, विशेषज्ञों की राय में जीडीपी के 5 फीसद या करीब 10 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त भारी-भरकम प्रोत्साहन पैकेज से कम में नहीं बनेगी बात
आपदा से जंग को तैयार होते अस्पताल
वैश्विक महामारी कोविड-19 से जंग के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है और लंबे समय के लिहाज से चिकित्सा और अन्य आवश्यक इंतजाम किए जा रहे हैं
अब भगवान का भी नहीं सहारा !
जिन पूजास्थलों में रोज गूंजते थे लाखों के जयकारे, आज वहां सन्नाटा. कोरोना त्रासदी के दौर में लॉकडाउन ने भक्तों को किया भगवान से दूर
कोरोना का कलंक
देशव्यापी तलाशी अभियान का दंश तब्लीगी जमात झेल रही है. कोविड-19 के तीव्र-प्रसार में जमात के लोगों की बेइरादा भूमिका ने उन्हें भय और घृणा का लक्ष्य बना दिया है
जंग में आगे ही आगे
कोविड-19 महामारी के विरुद्ध युद्ध में राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने आगे बढ़कर कमान संभाली, एक साथ दो मोर्चों पर लेना है लोहा-लॉकडाउन के जरिए नए मामलों को नियंत्रण में रखने और आर्थिक बदहाली से बचने की पुरजोर कोशिश करना
पलायन का दर्द
रोजगार, घर या भोजन से महरूम शहरों में फंसे, समचे देश से प्रवासी मजदूर अपना थोड़ा-बहुत सामान लादे, भूख से बेहाल, थके-मांदे बच्चों के साथ पैदल या बसों में पशुओं की तरह लूंसकर अपने गांव की ओर लौटने को मजबूर, जहां 'सोशल डिस्टेंसिंग' की कोई गुंजाइश नहीं, उनके बुझे हुए चेहरे गवाह हैं कि कोविड-19 ने कितनी भारी उथल-पुथल मचा दी
ताकि गाड़ी न धमे
देश का 15 लाख करोड़ रुपए का ट्रांसपोर्ट और आपूर्ति तंत्र अर्थव्यवस्था की जान है, 24 मार्च को अचानक देशव्यापी लॉकडाउन से यह पूरी तरह ठप हो गया, जिससे पहले से ही खस्ताहाल अर्थव्यवस्था पंगु हो गई. सुधार के लिए सरकार को उठाने होंगे सही दिशा में तेज कदम
बुरे वक्त की तैयारी
राज्य सरकारें और देशभर के अस्पताल कोरोना वायरस संक्रमण की चुनौतियों से निपटने की तैयारी में जुटे. आखिर इस महामारी के खिलाफ जंग में हमारी कितनी तैयारी है?
कोरोना को यहां लगे पंख
भारत में और दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में धार्मिक संगठन का एक जलसा कोविड-19 को फैलाने में कैसे जिममेदार रहा है
जान-माल बचाने का सवाल
भारत फिलहाल नोवेल कोरोनावायरस का फैलाव रोक पाने में कामयाब रहा है लेकिन इसकी उसे बड़ी भारी सामाजिक-आर्थिक कीमत चुकानी पड़ी है. अब जरूरत है स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने की, अनिवार्य वस्तुओं की आपूर्ति आसान बनाने की और इससे बाहर निकलने की रणनीति तैयार करने की, जिसमें अर्थव्यवस्था और लोगों को फिर अपनी पुरानी लय में वापस लाने के लिए वित्तीय पैकेज भी शामिल हो
चौबीसों घंटे चौकन्ने
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री हेल्पलाइन कोरोना के खिलाफ जंग में भरोसेमंद 'हथियार' बनकर उभरा. योगी आदित्यनाथ खुद कर रहे इसकी निगरानी
गरीबों की व्यथा कथा
राष्ट्रव्यापी बंद ने शहरी गरीबों को बेरोजगार करने के साथ आर्थिक विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है. उनके जीवन को कैसे पटरी पर लाया जा सकता है?
रामलला का नया घर
राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया के पहले चरण में भगवान राम के बालरूप रामलला अस्थायी मंदिर में रखे गए. पर मूल मंदिर निर्माण से पहले विहिप देशभर में माहौल बनाने की तैयारी में
महामारी को मार भगाने की रणनीति
देश में कोविड-19 के बड़े पैमाने पर सामुदायिक फैलाव की आशंका के मद्देनजर सरकार को स्वास्थ्य सुविधाओं के ढांचे की कमियां दूर करने और सटीक तौर-तरीके अपनाने के लिए तेज कदम बढ़ाने की जरूरत
बचे रहने का अर्थशास्त्रत
कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने तीन हफ्तों के लिए देशव्यापी तालाबंदी कर दी. इसकी सबसे ज्यादा मार यात्रा और पर्यटन, विमानन, हॉस्पिटैलिटी और मनोरंजन उद्योग पर पड़ेगी.
खाली समय में सृजन करते बच्चे
कोरोना की वजह से हुई छुट्टियों में अपने बच्चों को शैतानियों से दूर रखने के लिए ये कर रहे हैं उनके माता-पिता
क्या वे वापसी कर पाएंगे?
कमलनाथ सरकार का तख्तापलट रोकने में कांग्रेस नेता कहां चूक गए और मध्य प्रदेश में क्या उनकी सत्ता में वापसी फिर संभव हो सकती है?
सिलसिला सियासी जीत का
भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह अनौपचारिक बातचीत में अक्सर यह कहा करते हैं, "चुनाव में जीतना जितना जरूरी है, सियासत में भी जीतना उतना ही जरूरी है.
सहयोग की भावना एक बार फिर
सार्क के सदस्य देशों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान मोदी ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए भारत के उठाए गए कदमों की जानकारी दी
सब उलटा-पुलटा
दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम को स्वदेश उड़ने से पहले कोलकाता में 20 घंटे तक अलग-थलग रहना पड़ा
बुजुर्ग-बीमार को डर ज्यादा
वे लोग जिनकी उम्र 80 साल से ऊपर है और पहले से कोई बीमारी है, उन्हें कोविड-19 से सबसे ज्यादा खतरा
कोरोना के साये में जिंदगी
कोरोना वायरस से भारत में पहली मौत दर्ज होते ही देश इस जानलेवा विषाणु को फैलने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान, सामाजिक मेलजोल पर अंकुश लगाने और सेहत दुरुस्त रखने की बुनियादी जरूरतों जैसे तमाम उपायों में जुटा है. फिलहाल खस्ताहाल अर्थव्यवस्था की सुध पीछे छूटी
उत्तर प्रदेश में कर्मयोग के तीन वर्ष
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कठोर फैसले लिए तो प्रदेश को उपलब्धियों से समृद्ध भी किया
"बाजारों में दहशत है, डर इस बात का है कि पता नहीं क्या होगा"
"बाजारों में दहशत है, डर इस बात का है कि पता नहीं क्या होगा"