यह भी नहीं लगता था कि दुनिया के देश इतनी जल्दी मोटे अनाज के प्रति जागरुक होंगे. दरअसल जिस तरह से हमारे खान-पान के चलते एक के बाद एक बीमारियों से दो चार होने लगे हैं ऐसे में मोटा अनाज एक बेहतर विकल्प के रुप में उभरा है. पर जिस तरह से अभियान चलाकर मोटे अनाज को प्रमोट करने का अभियान चलाया गया है तो देश विदेश में मोटे अनाज का गुणगान होने लगा है. मोटापा, डायबिटीज, विटामिन्स की डेफिसिएंसी, बढ़ती हार्ट डिजिजेज, एनिमिया, डाइजिनेशन प्राब्लम, कैल्शियम की कमी या यों कहें कि अच्छा खाने के बाद भी खोखले होते शरीर के कारण केमिकल्स पर आधारित दवाओं से अलग हटकर अब लोग मोटे अनाज में विकल्प खोजने लगे हैं. हांलाकि यह तो शुरुआत है और सफर लंबा और कठिनाइयों से भरा है. हमें अभी से भविष्य की मांग पूरी करने की रणनीति बनानी होगी.
दरअसल साठ के दषक तक हमारे यहां खासतौर से गांवों का मुख्य भोजन मोटा अनाज ही रहा है. 1960 के दशक में बार बार अकाल के चलते खाद्यान्न संकट के विकल्प के रुप में हरित क्रांति का दौर आरंभ हुआ और ऐसे में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना पहली प्राथमिकता बनी. हालाकि यह समय की मांग भी थी तो आवश्यकता भी इस तरह से गेहूं को प्रमुख विकल्प माना गया. इसके बाद एक ओर गेहूं के आयात, गेहूं के उत्पादन बढ़ाने और उत्पादन बढ़ाने के नाम पर रासायनिक उर्वरकों का दौर शुरु हुआ.
Diese Geschichte stammt aus der April 01, 2023-Ausgabe von Gambhir Samachar.
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आंकड़ों से पता चलता है कि देश में दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक रोड एक्सीडेंट के मामले 2020 में 3,64,796 से बढ़कर 2021 में 4,03, 116 हो गए. मौतों में 16.8% बढ़ोतरी हुई है. 2020 में 1,33,201 और 2021 में 1,55,622 लोगों ने सड़क हादसे में अपनी जान गवाई है. साथ ही 2021 में प्रति हजार वाहनों की मौत दर 2020 में 0.45 से बढ़कर 2021 में 0.53 हो गई है. विश्लेषण से पता चलता है कि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं तेज गति के कारण हुई हैं.
पश्चिमी यूपी में तेज होगी जाट वोट बैंक पर कब्जे की जंग
उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकदल यानी आरएलडी की मान्यता खत्म होने से छोटे चौधरी जयंत सिंह की सियासत पर ग्रहण लग गया है. इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री और दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने सहित कई सरकारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किसान नेता चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी की राजनैतिक पारी पर यदि विश्राम लग जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
अब 'वायनाड' का क्या होगा?
केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सदस्य रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद अब बड़ा सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग इस सीट पर जल्द ही उपचुनाव करवा सकता है? जानकारों का कहना है कि उपचुनाव की घोषणा से पहले चुनाव आयोग हर कानूनी पहलू को देखेगा और राहुल गांधी के अगले कदम पर भी आयोग की नजर रहेगी. राहुल गांधी की ओर से जल्द ही ऊपरी अदालत में अपील की जा सकती है. वहीं, चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार राहुल के अयोग्य घोषित होने के बाद वायनाड सीट पर उपचुनाव कराने से पहले तमाम पहलुओं की समीक्षा की जाएगी. आयोग के सूत्रों के अनुसार पहले से तय गाइडलाइंस के अनुरूप जो नियम हैं, उनके तहत आयोग कार्रवाई करेगा. नियम के अनुसार, खाली सीट को 6 महीने के अंदर भरना होता है. सूत्रों के अनुसार, इस बार आयोग कोई फैसला लेने से पहले तमाम कानूनी पहलुओं और घटनाक्रमों की समीक्षा करेगा. दरअसल, इसी साल आयोग अपने ही कुछ फैसलों से कानूनी अड़चनों में फंसा रहा.
अंतरिक्ष में इसरो के बढ़ते कदम
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