जीडीपी की हकीकत आखिर क्या
India Today Hindi|September 18, 2024
यह डर 30 अगस्त को सच साबित हो गया कि देश की अर्थव्यवस्था 7 फीसद से अधिक की वृद्धि दर को बरकरार रख पाने में असमर्थ हो सकती है. उस दिन वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही के वृद्धि के आंकड़े घोषित किए गए. वास्तविक जीडीपी वित्त वर्ष 25 की पहली तिमाही में सिर्फ 6.7 फीसद की दर से बढ़ी, जो साल भर पहले इसी तिमाही में 8.2 फीसद की दर से बढ़ी थी. मौजूदा दर पांच तिमाहियों में सबसे वृद्धि दर थी (इससे पिछली चार तिमाहियों में अर्थव्यवस्था 7 फीसद से अधिक की दर से बढ़ी थी) और भारतीय रिजर्व बैंक समेत कई एजेंसियों की उम्मीदों से कम थी. रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही में वृद्धि दर 7.1 फीसद रहने का अनुमान लगाया था.
एम. जी. अरुण
जीडीपी की हकीकत आखिर क्या

कृषि सबसे ज्यादा फिसड्डी रही है और मौजूदा तिमाही में सिर्फ 2 फीसद की दर से बढ़ी जबकि इससे पिछली तिमाही में यह दर 3.7 फीसद रही थी. विशेषज्ञ इसके लिए मौसम की गड़बड़ी को जिम्मेदार ठहराते हैं, वे खास तौर पर देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी के असर को मारक बता रहे हैं. लेकिन फिर भी यात्रा और मेजबानी समेत जो सेवा क्षेत्र साल भर पहले 10.7 फीसद की दर से बढ़ा था, इस बार धीमा होकर 7.2 फीसद रह गया. दरअसल, कोविड बाद अर्थव्यवस्था में सुधार के ऊंचे आंकड़ों से इसकी आसानी से तुलना की जा सकती है. यानी अब वह तेजी घटने लगी है.

मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन का मानना था कि जीडीपी की धीमी वृद्धि दर "आम सहमत अनुमान के भीतर ही थी. उन्होंने कहा, “चुनाव प्रक्रिया (अप्रैल से जून के दौरान हुए आम चुनावों) की वजह से पूंजीगत खर्च में कमी आ गई थी. यह सरकार के अंतिम उपभोग खर्च (जो सरकार के पूंजीगत खर्च को बताता है) में साफ झलकता है."

Diese Geschichte stammt aus der September 18, 2024-Ausgabe von India Today Hindi.

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