जंगली भैंसों की ली सुध
India Today Hindi|16th October, 2024
भारत में वैसे तो गाय को पूजनीय पशुधन माना जाता है लेकिन महाराष्ट्र अपनी भैंसों की भी परवाह करने में पीछे नहीं है. कम से कम जंगली जल भैंस (बुबैलस अर्नी) प्रजाति की तो सुध ले ही रहा है. दुनियाभर में जंगली जल भैंसों की कुल आबादी का 91 फीसद हिस्सा भारत में ही पाया जाता है, जहां इनकी तादाद करीब 3,400 है.
धवल एस. कुलकर्णी
जंगली भैंसों की ली सुध

एक 'लुप्तप्राय' जीव के तौर पर इसे आइयूसीएन यानी अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट में शामिल किया गया है तो वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के तहत इसे बाघों और हाथियों जैसे जानवरों की तरह संरक्षित जीवों की श्रेणी में रखा गया है. अधिकांश भारतीय जंगली भैंसें पूर्वोत्तर, खासकर असम में हैं. नरम घास के मैदानों, दलदलों और घनी वनस्पति वाली नदी घाटियों में मिलने वाले इस जीव की एक छोटी आबादी - तकरीबन 60 - मध्य भारत में भी है, जो महाराष्ट्र के कोलामरका - कोपेला जंगलों और छत्तीसगढ़ में इंद्रावती और उदंती सीतानदी बाघ अभयारण्यों तक बिखरी है. जंगली भैंसे को अपने प्राकृतिक आवास में खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिहाज से अहम माना जाता है, इसीलिए महाराष्ट्र राज्य वन्यजीव बोर्ड (एमएसबीडब्ल्यूएल) ने उनके बंदी प्रजनन (प्राकृतिक आवास के बाहर नियंत्रित वातावरण में प्रजनन) की मंजूरी दे दी है.

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