भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में 'राइट टू हेल्थ' का प्रावधान है। यानि प्रत्येक भारतीय को 'स्वास्थ्य का अधिकार' हमारे संविधान ने दे रखा है। संविधान में तहत देश के प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य के अधिकार का बुनियाद हक प्रदान करना सरकार की जिम्मेदारी होती है। हमारे प्रदेश ही नहीं देश के अन्य प्रदेशों में भी लोगी के स्वास्थ्य के प्रति दी जाने वाली सुविधाओं पर सवालिया निशान खड़े होते रहते हैं। आज आजादी के 75 वर्षों बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं बदहाली का दौर बदस्तूर जारी है।
मप्र में स्वास्थ्य सेवाओं को उत्तमता से प्रदान करने हेतु सरकार ने तथा रोजोपचार संबंधी स्थापनाएं ( रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन) अधिनियम 1973 तथा 1997 के अंतर्गत पंजीकृत निजी नर्सिंग होम तथा क्लिनीकल स्थापनाओं के नियमित निरीक्षण का प्रावधान किया है। एक्ट के तहत उक्त निजी नर्सिंग होम तथर, क्लिनीकल स्थापनाओं का पंजीयन अनिवार्य किया गया है। इस हेतु जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जोकि पर्यवेक्षण प्राधिकारी ( सुपरवाइजिंग अधार्टी) रूप में मनोनीत किया गया ए.सी.एस (हेल्थ) का महत्वपूर्ण आदेश प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के शीर्षस्थ अधिकारी अतिरिक्त मुख्य सचित मोहम्मद सुलेमान ने पिछले वर्ष 2021 में दिनांक 06 अगस्त 2021 के प्रदेश के समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे उनके अधिनस्थ जिलों में संचालित समस्त निजी नर्सिंग होम, तथा क्लिनीकल स्थापनाओं के पंजीयत के नवीनीकरण तथा नियमित निरीक्षण करें और इस निरीक्षण के लिए मंत्रालय से चेक लिस्ट संलग्न कर भेजी गई। इस महत्वपूर्ण आदेश का उद्देश्य प्रदेश में बने अधिनियम 1973 और 1997 के प्रावधानों के अनुपालन को सुनिश्चित करना है था।
क्या-क्या है आदेश की चेक लिस्ट में
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