भगवान शंकर, जो देवों के देव महादेव कहलाते हैं, के बारे में धार्मिक मान्यता है कि श्रावण मास में जब समस्त देवी-देवतागण विश्राम पर चले जाते हैं, वहीं भगवान भूतनाथ गौरा पार्वती के साथ पृथ्वी लोक पर विराजमान रहकर अपने भक्तों के कष्ट-कलेश हरते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसी लोक-आस्था है कि श्रावण मास के दिनों में भगवान शंकर बैधनाथ धाम और अजगैबीनाथ धाम में साक्षात् विद्यमान रहते हैं जहां उनकी अर्चना द्वादश ज्योतिर्लिंग और अजगैबीनाथ महादेव के रूप में होती है। यही कारण है कि औघड़दानी शिव के पूजन हेतु लाखों भक्त सुलतानगंज अजगैबीनाथ धाम और देवधर बैद्यनाथ की ओर उमड़ पड़ते हैं। सुलतानगंज में गंगा उत्तरवाहिनी है, जिसका विशेष महात्म्य हैं। भगवान शंकर को गंगा का जल अत्यंत प्रिय है। और, यदि यह जल उत्तरवाहिनी का हुआ तो अति उत्तम। पौराणिक कथा के अनुसार यहां ऋषि जह्नु का आश्रम था। जब भगीरथ गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर ला रहे थे, तो कोलाहल से क्रोधित होकर ऋषि जहनु ने गंगा का आचमन कर पी लिया। किंतु बाद में भगीरथ के अनुनय विनय करने पर अपनी जंघा से गंगा को प्रवाहित किया जिसके कारण पतित पावनी गंगा जाह्ननवी कहलायी। आनंद रामायण में वर्णित है कि भगवान श्रीराम ने सुलतानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा के जल से बैद्यनाथ महादेव का जलभिषेक किया था।
Diese Geschichte stammt aus der July 2023-Ausgabe von Open Eye News.
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