पर्यावरण असंतुलन का खतरा बढ़ा
एक भारतीय फिल्म 'एलिफेंट व्हिस्पर्स' ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था जब उसे अवार्ड से नवाजा गया था। इंसान और हाथी दोस्ती की मिसाल कायम करने वाली इस सच्ची कहानी ने पूरी दुनिया को हिला दिया था। मगर हकीकत में सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। भारत में पिछले पांच वर्षों में लगभग 44 हाथियों की हत्या कर उनके दांतों का अवैध व्यापार किया जा चुका है। लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक जो कि 'वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो' द्वारा दी गई है, लगभग 475 किग्रा हाथीदांत की कच्ची सामग्री और 385 हाथीदांत से बनी कलाकृतियां बरामद की गई है। ये जानकारी सरकारी और महज पांच सालों की है। असल आंकड़े इससे भी भयावह हो सकते हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्रतिबंध के बावजूद हाथियों का शिकार और हाथीदांत की कलाकृतियों की बिक्री 1986 से लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसकी वजह शिकारियों के प्रति सरकार का कमजोर रवैया ही है।
वैश्विक स्तर का व्यापार, एशियाई देश खरीदार
दरअसल, हाथीदांत से बनी कलाकृतियों को एक 'स्टेटस सिम्बल' माना जाता है। हाथियों का अवैध शिकार पारिस्थिकी (ईकोलॉजी) स्तर पर भारी नुकसान पहुंचाता है क्योंकि इससे हाथियों की आबादी पर नुकसानदेह असर पड़ता है। जो जानकारी लोकसभा में की गई है उसके मुताबिक सिर्फ पांच सालों में जिन 41 हाथियों को मौत के घाट उतारा गया है उनमें से मेघालय में 12, और उड़ीसा में 10 हाथी थे जबकि 25 हाथियों की हत्या जहर देकर की गई थी। यह स्पष्ट आरोप है कि हाथियों के शिकार की जो अधिकृत तौर पर संख्या बताई जाती हैं वह तो सिर्फ नमूना भर रहती है। असल में संख्या इससे ज्यादा ही रहती थी। ऐसे कुछ मामले भी सामने आए है जिसमें सरकारी ओहदे के अफसर भी शामिल पाए गए हैं।
Diese Geschichte stammt aus der September 2023-Ausgabe von Open Eye News.
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