देश की सबसे भयावह रेल दुर्घटनाओं में 2 जून की शाम ओडिशा के बालेश्वर में हुआ रेल हादसा जुड़ गया जिसमें 275 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 1175 लोग घायल हुए। तीन ट्रेनों के बीच हुई इस अनहोनी में दो यात्री गाड़ियां बेंगलूरूहावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और शालीमार-चेन्नै सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस शिकार बनीं। युद्धस्तर पर चले राहत और बचाव अभियान में स्थानीय नागरिकों से लेकर रेलवे, ओडिशा सरकार और अन्य प्रांत भी शामिल हुए। घटनास्थल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और तमाम आला अधिकारी और नेता पहुंचे। दुर्घटना को लेकर आरोप-प्रत्यारोप भी लगे। सरकार से सवाल पूछे जाने का क्रम जारी है। यह घटना जिस तरह से हुई और इसके जितने कोण हैं, उसमें रेलवे की लापरवाह सिग्नलिंग प्रणाली की खामी साफ तौर पर दिखती है। रेल संरक्षा आयोग ने जांच आरंभ कर दी है। इस बीच में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस हादसे की जांच सीबीआइ से करवाने की सिफारिश का ऐलान कर घटना को नया मोड़ दे दिया है। रहस्यमय अंदाज में उन्होंने पहले यह कहा कि “इस भीषण घटना के कारण का पता चल गया है। असल वजह और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है, लेकिन मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता।" रेल मंत्री ने माना कि 'इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग' में किए गए बदलाव की पहचान कर ली गई है। प्वाइंट मशीन' की सेटिंग में बदलाव किया गया है, लेकिन यह कैसे और क्यों हुआ, इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में होगा। इसके पहले प्रधानमंत्री ने घटनास्थल का जायजा लेने के बाद कहा था कि दोषियों को सख्त सजा मिलेगी। इस मामले की न्यायिक जांच की मांग भी उठ रही है और रेल परिसंपत्तियों के बदलाव के लिए व्यापक अभियान की वकालत भी होने लगी है।
रेल इतिहास की इस भयावह दुर्घटना ने हर नागरिक को हिला कर रख दिया, लेकिन सबसे अधिक बेचैनी रेलवे के आला अफसरों और रेल मंत्री को रही, जो गोवा में 3 जून को देश की 19वीं वंदे भारत ट्रेन के उद्घाटन समारोह की तैयारी कर रहे थे। रेल मंत्री के लिए 2 जून अतिव्यस्तता भरा रहा।
Diese Geschichte stammt aus der June 26, 2023-Ausgabe von Outlook Hindi.
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