रफ्तार के शिकार लोग
Outlook Hindi|June 26, 2023
सरकार और तंत्र ज्यादा सुविधा और रफ्तार को प्राथमिकता बना चुका है, इसमें गरीब कहां हैं
प्रेमपाल शर्मा
रफ्तार के शिकार लोग

ओडिशा के बालेश्वर में 2 जून, 2023 को हुई भयानक रेल दुर्घटना से पूरा देश विचलित है। करुण क्रंदन! हाहाकार ! अपने-अपने घर पहुंचने से पहले ही श्मशान पहुंचा दिए गए लोग! लगभग 300 की मौत और 1000 से ज्यादा अस्पताल में दाखिल 3000 से ज्यादा यात्री दो पैसेंजर ट्रेन में सवार थे। एक गाड़ी बेंगलूरू से हावड़ा और दूसरी हावड़ा से चेन्नै जा रही थी। ज्यादा दुखद पक्ष यह है कि पिछले दिनों से लगातार ताबड़तोड़ ये खबरें आ रही हैं कि वंदे भारत को इस शहर से उस शहर तक जोड़ दिया गया है, रेल की स्पीड बढ़ा दी गई है, वातानुकूल सुविधाओं के साथ-साथ आप ट्रेन में हल्दीराम और कोई भी ग्लोबल खाना या मिठाई मांग सकते हैं। मानो रेल की यात्रा न हो, यूरोप के किसी देश में पिकनिक की जगह हो ! यह भूलते हुए कि इस देश की करोड़ों जनता जो अपना पेट पालने के लिए मजदूरी के लिए हावड़ा से चेन्नै, केरल, बेंगलूरू भागती है। बहुत दिन नहीं हुए कोरोना के दृश्य को जब ये मजदूर अपने-अपने ठिकानों की ओर हजारों मील दूर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान की तरफ पैदल ही चल पड़े थे। हम बहुत जल्दी भूल जाते हैं।

क्या स्पीड, वातानुकूलित खाने-पीने की, मनोरंजन की सुविधाओं के बीच कभी हमने सोचा है कि देश की करोड़ों जनता कैसी स्थितियों में 24 घंटे से 60 घंटे तक की यात्रा करती है? और सारे दुखों को झेलते हुए भी क्या उन्हें सुरक्षित पहुंचाने की गारंटी है? मैं बात तंत्र से शुरू करना चाहता था लेकिन मेरा इशारा लगातार बढ़ते मध्यवर्गीय लोगों की तरफ भी है जिनके पास पैसा आ गया है और पूरा तंत्र उनके पास है, संसद उनकी मुट्ठी में है, विश्वविद्यालय, शिक्षा संस्थानों पर उनका कब्जा है जहां वे बार-बार इस शिकायती अंदाज में रहते हैं कि जापान की ट्रेन में तो ऐसा होता है जी! यूरोप की ट्रेन में ऐसा होता है! हमारे यहां ऐसी सुविधाएं कब होंगी? लोकतंत्र में इन आवाजों को सुना जाता है और जब वे विशेष वर्ग की हों, अमीरों की हों, उनकी हों जिनका तंत्र और सरकार पर कब्जा है तो उन पर कार्रवाई भी तुरंत होती है।

Diese Geschichte stammt aus der June 26, 2023-Ausgabe von Outlook Hindi.

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