गढ़वाल का प्रवेश
गढ़वाल का प्रवेश द्वार माना जाने वाला यह शहर खोह नदी के किनारे बसा है। इसलिए पहले इसे खोद्वार नाम से भी जाना जाता था। बाद में बदलतेबदलते इसका नाम कोटद्वार हो गया। यह गढ़वाल के छह शहरों में से एक है। समुद्रतल से 454 मीटर की ऊंचाई पर खोह नदी के किनारे बसे इस शहर का वर्णन स्कंद पुराण में कौमुद तीर्थ के रूप में आता है। कौमुद तीर्थ का जैसा वर्णन किया गया है उससे इस स्थान के कौमुद तीर्थ होने के स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं।
स्कंद पुराण के 116 अध्याय के श्लोक 6 में कौमुद तीर्थ के जो भी चिन्ह उल्लेखित हैं, वे यहां मिलते हैं। जैसे, आज भी इस जगह के चारों ओर कुमुद यानी बबूल के फूलों की गंध महसूस होती है। मान्यता है कि यहीं पर चंद्रमा ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर को अपनी तपस्या से प्रसन्न किया था। संभव है, कौमुद तीर्थ के कारण भी इस स्थान का नाम कोटद्वार पड़ा होगा। हालांकि ब्रिटिश राज के सरकारी दस्तावेजों में इस स्थान का नाम का कोड्वार है। इतने नाम बदलने के बाद भी कोटद्वार का मूल स्वरूप नहीं बदला है। शांत प्रकृति वाला यह छोटा सा शहर अपने अंदर बहुत सी कहानियां समेटे है।
सिद्धबली धाम की मान्यता
Diese Geschichte stammt aus der August 21, 2023-Ausgabe von Outlook Hindi.
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