06 मई 1953 को बिहार के पूर्णिया में जन्मे डॉ. निर्मल प्रकाश नारायण ने साल 1976 में पटना विश्वविद्यालय से एमबीबीएस करने के बाद इसी यूनिवर्सिटी से 1979 में ऑर्थोपेडिक्स में डिप्लोमा किया और एमएस के अलावा डीएनबी की डिग्री भी हासिल की। डॉ. नारायण ने सर्जरी में पीएचडी भी की है। 90 के दशक में रॉयल कॉलेज ऑफ़ सर्जन्स एडिनबर्ग, इंग्लैंड और ग्लास्गो से एफआरसीएस की डिग्री हासिल कर उन्होंने बिहार चिकित्सा जगत में अलग पहचान बनाई।
डॉ. नारायण बिहार के पहले और अकेले ऐसे सर्जन हैं जिन्हें एफआरसीएस और एमआरसीएस एग्जामिनर के तौर पर रॉयल कॉलेज ऑफ़ सर्जन्स ऑफ़ इंग्लैंड और ग्लास्गो ने आमंत्रित किया। पिछले 4 दशक में बेहतर सर्जरी के बूते उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। डॉ. एन.पी. नारायण के पुत्र और देश की राजधानी दिल्ली में मिनिमल एक्सेस सर्जरी के लिए विख्यात डॉ. निखिल नारायण की पहचान भी देश के गिने चुने उन काबिल सर्जनों में है, जिन्होंने बेहतर सर्जरी की बदौलत अलग पहचान बनाई है।
Diese Geschichte stammt aus der October 02, 2023-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der October 02, 2023-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
'वाह उस्ताद' बोलिए!
पहला ग्रैमी पुरस्कार उन्हें विश्व प्रसिद्ध संगीतकार मिकी हार्ट के साथ काम करके संगीत अलबम के लिए मिला था। उसके बाद उन्होंने कुल चार ग्रैमी जीते
सिने प्रेमियों का महाकुंभ
विविध संस्कृतियों पर आधारित फिल्मों की शैली और फिल्म निर्माण का सबसे बड़ा उत्सव
विश्व चैंपियन गुकेश
18वें साल में काले-सफेद चौखानों का बादशाह बन जाने वाला युवा
सिनेमा, समाज और राजनीति का बाइस्कोप
भारतीय और विश्व सिनेमा पर विद्यार्थी चटर्जी के किए लेखन का तीन खंडों में छपना गंभीर सिने प्रेमियों के लिए एक संग्रहणीय सौगात
रफी-किशोर का सुरीला दोस्ताना
एक की आवाज में मिठास भरी गहराई थी, तो दूसरे की आवाज में खिलंदड़ापन, पर दोनों की तुलना बेमानी
हरफनमौला गायक, नेकदिल इंसान
मोहम्मद रफी का गायन और जीवन समर्पण, प्यार और अनुशासन की एक अभूतपूर्व कहानी
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
रफी जैसा बनने में केवल हुनर काम नहीं आता, मेहनत, समर्पण और शख्सियत भी
'इंसानी भावनाओं को पर्दे पर उतारने में बेजोड़ थे राज साहब'
लव स्टोरी (1981), बेताब (1983), अर्जुन (1985), डकैत (1987), अंजाम (1994), और अर्जुन पंडित (1999) जैसी हिट फिल्मों के निर्देशन के लिए चर्चित राहुल रवैल दो बार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं।
आधी हकीकत, आधा फसाना
राज कपूर की निजी और सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एक होना और नेहरूवादी दौर की सिनेमाई छवियां
संभल की चीखती चुप्पियां
संभल में मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका के बाद हुई सांप्रदायिकता में एक और कड़ी