इस साल की शुरुआत में शास्त्रीय गायकी के उस्ताद राशिद खान और विदुषी प्रभा आत्रे हमारे बीच से चली गईं। इ इसके महीने भर के भीतर गजल के सितारे पंकज उधास नहीं रहे। साल आगे बढ़ा, तो लोकगायकी से शारदा सिन्हा को ले गया। और अब, काल की तान अपने सम पर आते-आते उस्ताद जाकिर हुसैन को इस दुनिया से ले गई। 2024 हिंदुस्तानी रसिकों के लिए अब तक बहुत भारी गुजरा था, लेकिन जाकिर हुसैन का निधन सरहदों के पार खलिश पैदा करने वाली एक घटना है। बीते पांच बरस में पंडित जसराज, मालिनी राजुरकर, पंडित राजन मिश्र, लता मंगेशकर, शिवकुमार शर्मा सरीखे बड़े सुरसाधकों के अवसान की कड़ी में जाकिर हुसैन का निधन न सिर्फ विशिष्ट, बल्कि एक विक्षेप की तरह आया है।
Diese Geschichte stammt aus der January 06, 2025-Ausgabe von Outlook Hindi.
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