अलवर के तिजारा से कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान खान 1 नवंबर को टपूकड़ा में एक मॉल में खुले अपने कार्यालय में स्थानीय मेवों के बीच मौजूद थे। सैकड़ों की संख्या में बूढ़े और जवान मेव वहां उन्हें चुनाव जितवाने के लिए इकट्ठा हुए थे। इमरान दो दिन पहले तक बहुजन समाज पार्टी का प्रचार कर रहे थे, लेकिन बसपा से टिकट कटने पर उन्हें पिछली रात ही अचानक कांग्रेस से टिकट मिल गया था। हमने जानने की कोशिश की कि बसपा हो चाहे कांग्रेस, एक प्रत्याशी के तौर पर इमरान का चुनावी मुद्दा क्या है? इलाके के पुराने समाजसेवी और मेवों के बीच सर्वस्वीकृत विद्वान मौलाना हनीफ इस सवाल के जवाब कहते हैं, ‘सेकुलरिज्म, मोहब्बत की दुकान!’ उधर, इमरान को कांग्रेस की सात गारंटियां नहीं पता क्योंकि वे कांग्रेस में ताजा आए हैं। यही सवाल उनसे पूछने पर वे कहते हैं, ‘इलाके का विकास।’ ‘विकास’ की उनकी कुल समझदारी पानी, सड़क, गड्ढे तक सीमित है। क्या आपके यहां सांप्रदायिक माहौल है? क्या नूंह के दंगे का असर यहां भी हुआ था? ‘सेकुलरिज्म’ को चुनावी मुद्दा बताने वाले मौलाना इससे इनकार करते हैं, लेकिन शहर में भाजपा प्रत्याशी बाबा बालकनाथ की नामांकन रैली में आए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर इशारा करते हुए कहते हैं, ‘‘जा के देखिए, बुलडोजर खड़े हैं, जेसीबी खड़ी है। वैसे तो बाबा बालकनाथ अच्छा आदमी है, योगी जैसा फिरकापरस्त नहीं, लेकिन वो भी ऐसा हो जाएगा।’’
राजस्थान के मेवात की सीटों पर सात गारंटियों के बजाय भाजपा की सांप्रदायिकता का डर कांग्रेस के लिए वोट खींचने का काम कर रहा है, हालांकि इसी इलाके में सांप्रदायिकता का एक ऐसा पहलू है जो भाजपा और कांग्रेस में फर्क नहीं बरतता। यह राजस्थान के विशिष्ट सामंतवाद की देन है, जिसका एक प्रसंग अलवर के शिक्षक भरत मीणा सुनाते हैं।
Diese Geschichte stammt aus der November 27, 2023-Ausgabe von Outlook Hindi.
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