यकीनन दूर से वे पहाड़ों में प्राचीन चट्टानों के बीच बसी बस्तियों जैसे दिखाई देते हैं। हालांकि, ये रॉक हाउस उतने पुराने नहीं हैं जितने लगते हैं। कुछ दशक पहले हुंदरमान ब्रोक गांव में लोग इन घरों में रहते थे। अब कम ऊंचाई की छत, छोटे दरवाजे और एक छोटी खिड़की वाले ये चट्टानी घर संग्रहालय गांव में तब्दील हो गए हैं और तीन घरों में ‘अनलॉक हुंदरमान- म्यूजियम ऑफ मेमोरीज’ बन गया है। यहां गोले, गोलियां, पुराने जूते, कपड़े, विभाजित परिवारों के पत्र, छर्रे, सेना के पुराने हेलमेट, पुराने घरेलू सामान, गांव के हस्तशिल्प और मुद्रा का संग्रह है, जो भारत सरकार और पाकिस्तान सरकार दोनों ने जारी किए थे।
हुंदरमान ब्रोक की सड़क पर ब्लैकटॉप है और सड़क से सुरू नदी के पार प्राचीन सिल्क रूट देखा जा सकता है, जिसे स्कर्दू-करगिल रोड भी कहा जाता है। सड़क के किनारे पर्यटक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पर्यटन विभाग के बनाए हुंदरमान एलओसी व्यू पाइंट पर रुकते हैं। यहां पर्यटक एलओसी का नजारा देख सकते हैं। कोई साफ-साफ देखना चाहे, तो उसे लेंस लगी दूरबीन का इस्तेमाल कर पड़ता है।
हुंदरमान गांव के पास लकड़ी के बोर्ड पर लिखा है, ‘अनलॉक हुंदरमान (म्यूजियम ऑफ मेमोरीज) एलओसी पर स्थित करगिल में उजाड़ पुगरी बस्ती है, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद भारत के अधीन आ गई। इस बस्ती की नए सिरे से खोज अपनी कलाकृतियों और युद्धग्रस्त गांव की विभिषिका से रू-ब-रू कराती है।’
Diese Geschichte stammt aus der November 27, 2023-Ausgabe von Outlook Hindi.
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