'अगले काम के बारे में कभी नहीं सोचता'
Outlook Hindi|November 27, 2023
पहली ही फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड जीता। दूसरी फिल्म सीधे ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हो गई। जब कश्मीर के श्रीनगर से चले थे, तो जेब में पैसे भले ही न हों लेकिन उत्साह और आत्मविश्वास था। आत्मविश्वास भी ऐसा कि राष्ट्रीय पुरस्कार की राशि समय पर न मिलने पर तत्कालीन सूचना-प्रसारण मंत्री लालकृष्ण आडवाणी के घर तक पहुंच गए थे। इस साल उन्होंने फिल्म उद्योग में अपने 45 साल पूरे किए हैं। इन साल में परिंदा, 1942 ए लव स्टोरी के लिए याद किए जाने वाले निर्माता निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने मुन्नाभाई एमबीबीएस की स्क्रिप्ट लिखी, पीके के साथ कई अन्य फिल्में प्रोड्यूस कीं। अपने पसंदीदा काम संपादन करते हुए भी उनके दिमाग में कोई नई स्क्रिप्ट चलती रहती है। नई फिल्म 12वीं फेल में गाना गाने वाले चोपड़ा ने आउटलुक की आकांक्षा पारे काशिव से भविष्य की योजनाओं के बजाय वर्तमान पर खूब बातें कीं। अंशः
आकांक्षा पारे काशिव
'अगले काम के बारे में कभी नहीं सोचता'

12वीं फेल की कहानी में ऐसा क्या खास लगा कि इसे परदे पर उतारना जरूरी लगा?

यह हम सबकी कहानी है। जो लोग छोटे शहरों से आए हैं, जो अपना रास्ता नहीं खोज पाते, लेकिन उनमें संघर्ष करने का माद्दा होता है, यह फिल्म उनकी कहानी कहती है। मैं समझता हूं, ऐसे लोग जो छोटे शहरों से बड़े शहरों में आते हैं, उन लोगों का जज्बा ही अलग होता है। आप भी मनोज हैं, मैं भी मनोज हूं। जो बड़े शहर आकर भी अपना रास्ता नहीं भूले, भटके नहीं यह उन सब लोगों की कहानी है। मैं जब कश्मीर से निकला था और मैंने अपने पिता से कहा था कि मुझे फिल्में बनानी हैं, तो वे खूब नाराज हुए थे। उन्होंने डांट कर कहा था, “भूखा मर जाएगा वहां, खाएगा क्या।” फिर भी मैं बंबई पहुंचा। जब मैं 1978 में ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुआ तो पिताजी को बताया कि मैं ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुआ हूं। वे भी खुश हो गए। खूब वाह-वाह किया। लेकिन फिर वही सवाल, “अच्छा बताओ इसमें पैसे कितने मिलेंगे।” मैंने बताया पैसे नहीं हैं। तो नाराज हो गए और बोले, “फिर इतना खुश क्यों हैं, जब पैसे ही नहीं मिलेंगे।” यह बताने का मकसद सिर्फ इतना है कि हम लोग वहां से आए हैं, जहां रोजगार महत्वपूर्ण है। मैं आज भी अपनी आत्मा, अपना जमीर बेचे बिना फिल्म बना रहा हूं। इसलिए मुझे लगा परदे पर यह कहानी आनी चाहिए। यह किसी एक बंदे की कहानी नहीं है। कोई तो होना चाहिए, जो बता सके कि दुनिया में ऐसे लोग भी रहते हैं।

फिल्म बनाते वक्त का कोई खास वाकया या अनुभव, जो याद रह गया?

Diese Geschichte stammt aus der November 27, 2023-Ausgabe von Outlook Hindi.

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