राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले कांग्रेस नेता अनुमुला रेवंत रेड्डी को हैदराबाद में तब के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। यह पहली बार नहीं था कि उन्हें तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार किया था। भावुक रेवंत रेड्डी ने एक बार कहा था कि वे यह कभी नहीं भूलेंगे कि जब उनकी बेटी की शादी हो रही थी तो वे जेल में थे। रेड्डी तब तेलंगाना तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष थे। उन्हें अगले दिन अपनी बेटी की सगाई करनी थी कि आधी रात को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के पुलिसवाले मुख्य दरवाजा तोडक़र घर में घुसे और सोते हुए रेड्डी को उन्हें घसीटते हुए ले गए। इस 3 दिसंबर को जब शुरुआती रुझानों में राज्य में कांग्रेस की जीत की संभावना दिखने लगी तो डीजीपी अंजनी कुमार और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को रेड्डी को गुलदस्ता देते और हाथ मिलाते देखा गया। कई लोगों ने इसे मीठा बदला माना।
आंध्र प्रदेश से 2014 में टूटकर बने तेलंगाना में कांग्रेस की पहली बार 119 सदस्यीय विधानसभा में 64 सीटों के साथ वापसी हुई और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सत्ता से बेदखल हुई। कांग्रेस आलाकमान ने राज्य के कई दिग्गजों की बनिस्बत प्रदेश अध्यक्ष 54 वर्षीय रेड्डी पर ही भरोसा जताया। वे 7 दिसंबर को राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री बने।
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