पहले कागज, फिर कर्ज माफी ! पिछले एक साल में ऐसा कोई हफ्ता नहीं बीता जब महिला मंडल ने रमेश (36 साल, बदला हुआ नाम) से कर्ज माफी के लिए उसकी पत्नी सीता का मृत्यु प्रमाण-पत्र न मांगा हो। पिछले साल 1 फरवरी को धनबाद के निरसा में ओपन कास्ट खदान के एक हिस्से के धंसने से कथित अवैध खनन करने वाले 16 मजदूरों की मौत हो गई थी, जिसमें सीता (32 साल, बदला हुआ नाम) भी शामिल थी। कानूनी पचड़े से बचने के लिए आनन-फानन रमेश ने पत्नी के शव को खदान से जैसे-तैसे बाहर निकाला और कुछ ही घंटों में उसका दाह संस्कार कर दिया। रमेश के मुताबिक सीता की मौत का कारण खनन के दौरान मिट्टी में दबकर दम घुटना थी, लेकिन आधिकारिक तौर पर यह मौत दर्ज ही नहीं की गई।
रमेश आउटलुक से बताते हैं, “पुलिसिया कार्रवाई के डर से हम लोगों को जल्दीबाजी में अंतिम संस्कार करना पड़ा। मुझे नहीं पता था मेरा यह फैसला बड़ी समस्या बन जाएगा। अब ऐसा लगता है कि मेरी पत्नी की मौत गुमनाम है, जिसका सत्यापन शायद कभी नहीं हो पाएगा। डेथ सर्टिफिकेट बन जाता, तो महिला मंडल वाले लोग उसका कर्जा माफ कर देते। चालीस हजार रुपये कर्ज का हर महीने ब्याज बढ़ रहा है। मेरी उतनी कमाई ही नहीं है कि कर्ज की रकम या ब्याज भर पाऊं।"
धनबाद जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर बसा रमेश का गांव उन दर्जनों गांवों में शामिल है जिनकी जमीनें कोयले के खदानों से बंजर हो चुकी हैं। इसलिए लोगों के जीवनयापन का सहारा दूसरे शहरों में जाकर मजदूरी करना या आसपास बंद पड़ी कोयला खदानों से अवैध ढंग से कोयला निकाल कर बेचना है। यहां के लोग राशन, पानी, बिजली और घर जैसी समस्याएं तो गिनाते ही नहीं हैं। यहां के लोगों को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए जान जोखिम में डालकर बंद पड़ी खदानों में छोटे-छोटे कुएं या गड्डे खोदकर कोयला निकालना पड़ता है। इसी प्रक्रिया को अंग्रेजी में रैटहोल माइनिंग कहते हैं।
Diese Geschichte stammt aus der January 08, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der January 08, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम