यह दुनिया जितनी तेजी से बदलती हुई दिख रही है, उससे कहीं ज्यादा तेजी से बदल रही है (या कहें बदली जा रही है)। दिखना अपने-अपने जगत की चौहद्दी से सीमित है। कोई उन्नीस देख पाता है, कोई बीस और कोई दस। यह जो दिखने और होने का फर्क है, उसमें वह सब कुछ समाया हुआ है जो हम देख नहीं पा रहे या जिसे हमसे छुपाया जा रहा है। मसलन, बीते दिसंबर के अंत की एक घटना से इसे समझना आसान होगा। इलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला के अमेरिका स्थित एक कारखाने में एक रोबोट ने एक इंजीनियर को मार कर लहूलुहान कर डाला। उसने अपने दोनों हाथ इंजीनियर की बांह और पेट में घुसा दिए। इंजीनियर वहीं गिर पड़ा। फर्श पर खून ही खून था। श्रमिक यूनियन ने इसकी शिकायत की। इस सिलसिले में यूनियन की जांच में सामने आया कि वहां हर 21 में से एक कर्मचारी मामूली जख्मी और हर 26 में से एक गंभीर रूप से जख्मी होता रहता है। यह सिलसिला 2018 से चला आ रहा है लेकिन कंपनी ऐसी घटनाओं को छुपा ले जाती है, रिपोर्ट नहीं करती। इस बात पर भरोसा किया जा सकता है। इसकी एक वजह है। रूस में 2016 में एक लैब से एक रोबोट भाग गया था। यह खबर खूब चली थी। सड़क पर कोई प्रदर्शन हो रहा था। वह रोबोट वहां प्रदर्शन में शामिल हो गया। फिर उसे देखकर ट्रैफिक जाम लग गया। काफी देर बाद जब वह डिस्चार्ज हुआ, तब उसे वहां से हटाया जा सका। रोबोट के भागने और इनसान पर उसके हमला करने के बीच सात साल का फासला कुछ ज्यादा लंबा और अस्वाभाविक लगता है। अब जाकर जांच बता रही है कि ऐसे हमले तो 2018 में ही शुरू हो चुके थे। लिहाजा, रोबोट के भागने वाली खबर के समय से इसका एक सही परिप्रेक्ष्य बन सकता है।
Diese Geschichte stammt aus der January 22, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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