अयोध्या का सवाल न तो 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त उठा, न 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त, लेकिन के के 2024 के लोकसभा चुनाव आते ही चर्चा के केंद्र में अयोध्या है। यह सवाल बड़ा होता चला जा रहा है कि क्या 2024 के आम चुनाव में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जीत के सारे रिकॉर्ड तोड़ देगा? या फिर नब्बे के दशक में तब के अयोध्या कांड का राजनीतिक पाठ विहिप, संघ से लेकर भारतीय जनता पार्टी तक ने किया, बावजूद इसके अपने बूते सत्ता तक पहुंचने की उसकी सारी सोच धरी रह गई। फिर चाहे 1991 और 1996 के लोकसभा चुनाव हों या 1993 में यूपी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार । कहीं वही हालात 2024 में तो नहीं होंगे? शायद इसलिए यह सवाल बड़ा है कि भारतीय जनता पार्टी के लिए अयोध्या हिंदुत्व के सवाल से जुड़ा है या सामाजिक-सांस्कृतिक जरूरत है, या फिर तमाम सवालों से जूझती मोदी सत्ता के लिए 2024 के चुनाव में अयोध्या ही सब कुछ है। इन सवालों के जवाब के लिए अतीत के कुछ पन्नों को खोलना जरूरी है।
Diese Geschichte stammt aus der February 05, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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