अपने पालाबदल कार्यक्रम से नीतीश कुमार चाहे जो अच्छे-बुरे रिकॉर्ड बना रहे हों, भारतीय राजनीति में उनके माध्यम से बदलाव का दिलचस्प दौर शुरू हुआ है जिस पर गौर करने की जरूरत है। यह उनके नौ बार मुख्यमंत्री बनने या श्रीबाबू का रिकॉर्ड तोड़ने के हिसाब से अलग और बड़ा है। अपने मित्र योगेंद्र यादव जैसे राजनीति और चुनाव के विशेषज्ञ भी उनके पालाबदल की चर्चा में इन पक्षों की चर्चा नहीं करते हैं। नीतीश कुमार या भाजपा को एक अनैतिक गठबंधन के लिए कोसना, इंडिया गठबंधन के भविष्य की चर्चा करना, सरकार पलट के पीछे चले खेला और दांव-पेंच की चर्चा करना और कारणों का अनुमान लगाना जरूरी है। लेकिन यह सब अब अनजान नहीं रह गया है। भाजपा और और नीतीश कुमार जैसों का सत्ता-लोभ कोई अनजान बात नहीं है। यह भी ज्ञात है कि बाकी सबकी कीमत लग जाती है पर नीतीश की भूख सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी से पूरी होती है। बिहार के महाबली लालू प्रसाद हों या मोदी-शाह दोनों यह कीमत देने को मजबूर होते हैं जबकि नीतीश का राजनैतिक अर्थात वोट का आधार सिमटता ही गया है। लालू यादव तो सीधे-सीधे की लड़ाई भी लड़ते रहे हैं पर भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में साथ रहकर भी कुछेक की मदद से में नीतीश को हराने की भरपूर कोशिश की और नीतीश इसको लेकर काफी फुनफुनाते भी रहे हैं।
Diese Geschichte stammt aus der February 19, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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