हर चुनाव में रोचक किस्से और नजारे उभरते हैं। पिछले चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की शिकस्त और इंदौर से आठ बार की सांसद तथा लोकसभा स्पीकर रहीं सुमित्रा महाजन की चुनावी राजनीति से विदाई ने सबको चौंका दिया था। इस लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं-कार्यकर्ताओं का पाला बदलना चौंका रहा है।
भाजपा लोगों को ऐसे बटोर रही है, मानो कोई एक भी छूट गया तो जाने क्या हो जाएगा! हर दिन दूसरी पार्टी के छोटे-बड़े नेता पार्टी में शामिल किए जा रहे हैं। सरपंच से लेकर पूर्व विधायक-सांसद और संगठन में सक्रिय कार्यकर्ता तक इसमें शामिल हैं। इस साल 1 जनवरी से 19 मार्च तक तकरीबन 5,800 नेता हाथ को झटक कर कमल थाम चुके हैं।
प्रदेश के चुनावी इतिहास में ऐसा पालाबदल नहीं देखा गया। 2023 के विधानसभा चुनाव में 48 प्रतिशत वोट और कुल 230 में से 163 सीटें जीतने वाली भाजपा, दूसरी पार्टियों खासकर कांग्रेस के नेताओं को शामिल कर के क्या हासिल करना चाहती है- सभी 29 लोकसभा सीटों पर कब्जा कर के इतिहास रचना या प्रदेश को वाकई कांग्रेसमुक्त करना?
Diese Geschichte stammt aus der April 15, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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