देश में भी कंपनी 'द इंडियन डीपफेकर पिछले विधानसभा चुनावों में कई पार्टियों के लिए डीपफेक बना चुकी है और लोकसभा चुनाव में भी कुछ पार्टियों के साथ काम कर रही है। आउटलुक के राजीव नयन चतुर्वेदी ने उसके संस्थापक 30 वर्षीय दिव्येंद्र सिंह जादौन से डीपफेक टेक्नोलॉजी और उसके राजनैतिक इस्तेमाल जैसे मुद्दों पर बातचीत की।
यह कंपनी कब शुरू की?
कंपनी की शुरुआत हमने 2020 में की थी। उस समय हमारा फोकस विज्ञापन और मनोरंजन उद्योग पर था, लेकिन पिछले साल विधानसभा चुनावों के दौरान हमें राजनीतिक कंटेंट बनाने के लिए अचानक बहुत सारे ऑर्डर मिले।
राजनैतिक दलों ने आपसे राजनैतिक कंटेंट बनाने के लिए संपर्क किया?
नहीं, राजनैतिक दलों ने सीधे हमसे कोई कंटेंट बनाने के लिए नहीं कहा। पीआर एजेंसियां हमसे संपर्क कर किसी खास नेता के बारे में वीडियो बनाने को कहती थीं। कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी हमसे संपर्क किया। अधिकतर लोग अनैतिक कंटेंट बनाने की मांग करते थे। ऐसे लोगों का काम हमने नहीं किया। जो अनैतिक कंटेंट बनाने के लिए कहते हैं उनका एक खास पैटर्न रहता है। वे हमें कभी सीधे मैसेज नहीं करते। ऐसे लोग फेक इंस्टाग्राम-फेसबुक आइडी से मैसेज भेजते हैं और आगे की बातचीत के लिए टेलीग्राम पर आने को कहते हैं।
आपके हिसाब से 'अनैतिक' कंटेंट क्या है?
पॉलिटिकल डीपफेक के लिए ज्यादातर दो तरह के कंटेंट की मांग की गई। एक, किसी नेता को सकारात्मक रूप में पेश करना। दो, ऐसा कंटेंट बनाना जिससे किसी की छवि खराब हो। ऑडियो और वीडियो डीपफेक की दो तरीके की मांग है। पहली, किसी नेता की आवाज की क्लोनिंग कर ऐसी बातें कहलवाना जो उसने नहीं कही। दूसरे, उसका चेहरा ऐसे किसी वीडियो में डाल देना जिससे उसकी छवि निश्चित तौर पर खराब हो सकती हो।
Diese Geschichte stammt aus der April 15, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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