ऊंघता-सा शहर
जौनपुर के साथ भी यही हुआ है। अब यह भी कस्बाई तबीयत का हो चला है। नए पनपते शहरों के मॉल, मल्टीप्लेक्स और मल्टीस्टोरी हाउसिंग सोसाइटी के चमकीले वर्तमान के सामने संकरी सड़कों, बूढ़े मुहल्लों और खंडहर होती इमारतों से बुना जौनपुर का वर्तमान खासा बदरंग नजर आता है। शहरीकरण की अंधी दौड़ में कस्बाई होना, तो एक हासिल होता मगर हुआ यूं कि अब इसकी पहचान बेरोजगार नवयुवकों की भीड़ से है, अपराध से है।
मलिक सरवर का सपना
Diese Geschichte stammt aus der June 10, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
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