कदम दर कदम भारत
Outlook Hindi|June 24, 2024
प्रतिष्ठित कान फिल्म महोत्सव में देश की तरक्की की यात्रा अभूतपूर्व और अविस्मरणीय रही है
वाणी त्रिपाठी
कदम दर कदम भारत

हला कान फिल्म फेस्टिवल सन 1946 में आयोजित हुआ था। इसमें निर्देशक चेतन आनंद की फिल्म नीचा नगर दिखाई गई थी। तब इसकी बहुत चर्चा हुई थी। यह उस दौर की बात है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय सिनेमा को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती थी। यहां कमाल का सिनेमा बनने के बावजूद उस समय देश की प्राथमिकता कुछ और थी। उस समय भारत आजादी हासिल करने के लिए अंतिम एवं निर्णायक संघर्ष कर रहा था। नीचा नगर में कामिनी कौशल, अविभाजित भारत में जन्मे रफी पीर और निर्देशक चेतन आनंद की पत्नी उमा आनंद ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। कामिनी कौशल की यह पहली फिल्म थी, जिन्होंने बाद में हिंदी सिनेमा में ऊंचा मुकाम हासिल किया। रफी पीर ने फिल्म में नायक की भूमिका निभाई। नीचा नगर समाज में हाशिये पर जीवन जीने वाले लोगों की कहानी थी। एक तरह से यह फिल्म मशहूर रूसी लेखक मक्सिम गोर्की के नाटक द लोअर डेप्थ्स का भारतीय पृष्ठभूमि में हिंदी फिल्मी रूपांतरण था। नीचा नगर उस घुटन को प्रतिबिंबित करने में सफल रही जो उस समय हमारे समाज में व्याप्त थी। नीचा नगर को कान फिल्म फेस्टिवल में ग्रां प्री डू फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म अवॉर्ड से नवाजा गया था।

कान फिल्म फेस्टिवल में 1946 से शुरू हुए भारतीय फिल्मी सफर ने लंबी यात्रा तय की है। 1946 में नीचा नगर, 1952 में वी. शांताराम की अमर भूपाली, 1953 में राज कपूर की आवारा, 1958 में सत्यजीत रे की पारस पत्थर, 1974 में एम.एस. सथ्यु की गर्म हवा, 1983 में मृणाल सेन की खारिज, 1994 में शाजी एन करुण की स्वाहम से होते हुए यह सफर 2024 में पायल कपाड़िया की ऑल वी इमैजिन एज लाइट तक पहुंच गया है।

Diese Geschichte stammt aus der June 24, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.

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