विनोबा के सर्वोदय और जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन का गहन अध्ययन करने वाले ब्रिटिश राजनीतिशास्त्री जियोफ्रे आस्टरगार्ड से उनकी किताब का शीर्षक (नान वायलेंट रिवोल्यूशन इन इंडिया) उधार लेते हुए कहा जा सकता है कि भारत में अहिंसक क्रांति न तो विफल हुई न बंद हुई है। अहिंसा का असर धीरे-धीरे होता है इसलिए वह अपना असर दिखाती रहती है। पिछले 7-8 अगस्त 2024 को गांधी शांति प्रतिष्ठान दिल्ली में आयोजित देश भर के गांधीजन के सम्मेलन से यह बात प्रकट होती दिखी। प्रतिष्ठान के अध्यक्ष और सम्मेलन के आयोजक कुमार प्रशांत से जब सहज ढंग से यह प्रश्न किया गया कि क्या अब भी आपको संपूर्ण क्रांति की उम्मीद है, तो उन्होंने तपाक से कहा कि मैं निराश नहीं हुआ हूं। यह पूछने पर कि यह काम कौन करेगा, उनका कहना था कि देश भर में बड़ी संख्या में लोग सक्रिय हैं और उन्हीं ने इस समाज को एक हद तक अभय बनाया है। उसका असर भी हाल के लोकसभा चुनावों में दिखा।
लेकिन कुमार प्रशांत ने आगाह करते हुए कहा कि चुनाव राजनैतिक दल नहीं, जनता लड़ रही थी और जनता के उस मानस को तैयार करने में राजनैतिक दलों से बड़ी भूमिका नागरिक संगठनों ने निभाई है। नागरिक संगठनों की सक्रियता ने ही लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों और अधिकारों के पक्ष में व्यापक माहौल बनाया। लोकतंत्र की इस आधी-अधूरी जीत के पीछे उन गांधीवादी तरीकों का भी योगदान है, जो विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो अभियान के रूप में चलाया।
वरिष्ठ गांधीजन रामचंद्र राही का कहना था कि गांधी ने ‘हिंद स्वराज’ में यह नहीं माना है कि भारत रेलों के आने से एक राष्ट्र बना, बल्कि वे मानते थे कि इस देश की जनता सदियों से भारतीय उपमहाद्वीप के सुदूर कोनों में स्थित तीर्थस्थलों तक की यात्रा बैलगाड़ी से और पैदल चलकर किया करती थी। आज के जेट युग में भी अगर राहुल गांधी को पदयात्रा करनी पड़ रही है तो यह गांधी के ‘हिंद स्वराज’ की ही आवृत्ति है।
गांधीजन की भूमिका और आगे की रणनीति पर विचार करने के लिए अगस्त के प्रथम सप्ताह में जो सम्मेलन आयोजित किया गया था उसके पीछे गांधी शांति प्रतिष्ठान के अलावा सर्व सेवा संघ, राष्ट्रीय युवा संगठन, राष्ट्रीय गांधी निधि देश के विभिन्न प्रांतों के गांधी लोहिया से जुड़े संगठनों का सहयोग था।
Diese Geschichte stammt aus der October 14, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der October 14, 2024-Ausgabe von Outlook Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
हमेशा गूंजेगी आवाज
लोककला के एक मजबूत स्तंभ का अवसान, अपनी आवाज में जिंदा रहेंगी शारदा
क्या है अमिताभ फिनामिना
एक फ्रांसिसी फिल्मकार की डॉक्यूमेंट्री बच्चन की सितारा बनने के सफर और उनके प्रति दीवानगी का खोलती है राज
'एक टीस-सी है, नया रोल इसलिए'
भारतीय महिला हॉकी की स्टार रानी रामपाल की 28 नंबर की जर्सी को हॉकी इंडिया ने सम्मान के तौर पर रिटायर कर दिया। अब वे गुरु की टोपी पहनने को तैयार हैं। 16 साल तक मैदान पर भारतीय हॉकी के उतार-चढ़ाव को करीब से देखने वाली 'हॉकी की रानी' अपने संन्यास की घोषणा के बाद अगली चुनौती को लेकर उत्सुक हैं।
सस्ती जान पर भारी पराली
पराली पर कसे फंदे, खाद न मिलने और लागत बेहिसाब बढ़ने से हरियाणा-पंजाब में किसान अपनी जान लेने पर मजबूर, हुक्मरान बेफिक्र, दोबारा दिल्ली कूच की तैयारी
विशेष दर्जे की आवाज
विधानसभा के पहले सत्र में विशेष दर्जे की बहाली का प्रस्ताव पास कर एनसी का वादा निभाने का दावा, मगर पीडीपी ने आधा-अधूरा बताया
महान बनाने की कीमत
नाल्ड ट्रम्प की जीत लोगों के अनिश्चय और राजनीतिक पहचान के आपस में नत्थी हो जाने का नतीजा
पश्चिम एशिया में क्या करेंगे ट्रम्प ?
ट्रम्प की जीत से नेतन्याहू को थोड़ी राहत मिली होगी, लेकिन फलस्तीन पर दोनों की योजनाएं अस्पष्ट
स्त्री-सम्मान पर उठे गहरे सवाल
ट्रम्प के चुनाव ने महिला अधिकारों पर पश्चिम की दावेदारी का खोखलापन उजागर कर दिया
जलवायु नीतियों का भविष्य
राष्ट्रपति के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों के लिए जश्न का कारण हो सकती है लेकिन पर्यावरण पर काम करने वाले लोग इससे चिंतित हैं।
दोस्ती बनी रहे, धंधा भी
ट्रम्प अपने विदेश, रक्षा, वाणिज्य, न्याय, सुरक्षा का जिम्मा किसे सौंपते हैं, भारत के लिए यह अहम